सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर के जरिए अब तक राजनितिक प्रचार करने वाले नेताओं और पार्टियों के लिए बुरी खबर है। ट्विटर अब किसी भी तरह का राजनीतिक विज्ञापन अपने प्लेफॉर्म पर बैन करने वाला है। ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी ने इस बात की जानकारी दी है।
इसके लिए जैक डॉर्सी ने कुछ ट्वीट्स भी किए हैं। डॉर्सी ने इस फैसले के पीछे के कारण को समझाया है। उन्होंने कहा है कि इंटरनेट पर इस तरह के विज्ञापन हावी थे और कमर्शियल विज्ञापनदाताओं के लिए ये काफी प्रभावी साबित हो रहे थे। कारोबारी विज्ञापनों के लिए इसे फिर भी ठीक कहा जा सकता है लेकिन राजनीति में इससे बहुत बड़ा जोखिम हो सकता है।
22 नवंबर से लागू होगा नियम
ट्विटर की तरफ से कहा गया है कि 22 नवंबर के बाद से कोई भी राजनितिक प्रचार पर बैन होगा। हालंकि ट्विटर की तरफ से कहा गया है कि इस संबंध में 15 नवंबर को विस्तार से जानकारी दी जाएगी। हालांकि ट्विटर के इस फैसले के बाद कई राजनीतिक दल और राजनेता इस पर आपत्ति जता रहे हैं।
राजनीतिक दल और राजनेता की आपत्ति
राष्ट्रपति ट्रंप के चुनावी प्रचार के मैनेजर ब्रेड पास्कल ने भी ट्विटर के फैसले पर सवाल उठाया है। उन्होंने इसे ट्रंप और कंजरवेटिव्स को खामोश करने की कोशिश बताया है। वहीं, इसके विपरित ट्रंप के धुरविरोधी जो बाइडन के प्रवक्ता बिल रूसो ने इस फैसले का स्वागत किया है। बिल रूसो ने कहा है कि इससे लोकतंत्र मजबूत होगा।
फेसबुक के फैसले पर असहमति
वहीं, इससे पहले फेसबुक ने पिछले माह यह घोषणा की थी कि नेताओं और उनके अभियान से जुड़े पोस्ट तकरीबन नियंत्रण मुक्त रहेंगे जबकि इस कंपनी का पहले इससे उलट रुख था। फेसबुक ने पहले भुगतान वाले सियासी विज्ञापनों पर रोक लगा रखी थी। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग के इस फैसले को लेकर कंपनी में काम करने वाले लोग ही खुश नहीं है। जुकरबर्ग के सियासी विज्ञापन संबंधी नीति का फेसबुक कर्मी विरोध कर रहे हैं। इस संदर्भ में 250 से ज्यादा लोगों ने सीईओ मार्क जुकरबर्ग को पत्र लिखा और कहा है कि राजनेताओं को मनचाहे झूठ कहने की छूट नहीं देनी चाहिए।