राज्यसभा में शुक्रवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों के विरोध प्रदर्शनों और दिल्ली में जल प्रदूषण को लेकर खूब हंगामा हुआ। शोर-शराबे और हंगामें से नाराज सभापति वेंकैया नायडू ने सदस्यों को कहा कि शून्यकाल गंभीर और वर्तमान महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिए है। उन्होंने कहा, “जब आप नियमों का पालन ही नहीं कर रहे तो गंभीर मुद्दों पर चर्चा कैसे हो सकती है।”
न्यायिक जांच की मांग
सीपीआई के सदस्य के.के. रागेश ने जेएनयू छात्रों को कथित रूप से दिल्ली पुलिस द्वारा बेरहमी से पीटने का मुद्दा उठाया। रागेश ने कहा कि छात्रों पर तब लाठीचार्ज हुआ जब वे शांतिपूर्वक विश्वविद्यालय परिसर से संसद तक मार्च निकाल रहे थे। रागेश ने सवाल किया कि, “क्या भारत में बोलने की आजादी नहीं है? क्या यहां साथ कहीं जाने की आजादी नहीं है? क्या यहां कहीं इकट्ठा होने की आजादी नहीं है? यदि ऐसा नहीं है तो फिर क्यों जेएनयू के छात्रों की नागरिक के तौर पर स्वतंत्रता बाधित की जा रही है? आखिर क्यों कैंपस में आपातकाल जैसे हालात हैं?” रागेश ने पुलिस की कथित क्रूरता पर न्यायिक जांच की मांग की।
न्यायिक जांच पर प्रभात झा का तंज
इसी मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रभात झा ने अलग ढंग से अपनी बात कही। उन्होंने कहा कहा कि जेएनयू का महान इतिहास रहा है। झा ने कहा, “यह वह संस्था है जिसने, नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जैसी हस्तियां दी हैं। लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि कैंपस के अंदर स्वामी विवेकानंद की मूर्ति को उपद्रवियों ने आखिर क्यों तोड़ा। स्वामी विवेकानंद की मूर्ति के मंच पर लाल पेंट में ‘भगवा जलेगा’ लिखने वाले लोगों के खिलाफ कोई जांच क्यों नहीं की गई।” झा के इतना कहते ही सदस्यों ने शोर कर विरोध शुरू कर दिया।
जल प्रदूषण मुद्दे पर ‘आप’ आक्रमक
शोर इतना बढ़ गया कि सभापति को सदस्यों को कहना पड़ा कि वे सदन की गरिमा बनाए रखें और सदन के नियमों का पालन करें। शोर-शराबे के बीच ही भाजपा के एक और सदस्य विजय गोयल ने दिल्ली में जल प्रदूषण के मुद्दे को उठाया और शहर भर में पानी की आपूर्ति के आंकड़े पेश किए। आम आदमी पार्टी के सदस्य संजय सिंह ने इसका विरोध किया और दावा किया कि गोयल जो कुछ भी कह रहे हैं, वह ‘झूठ’ है। सभापति ने उनसे बैठने का अनुरोध किया लेकिन वे तब भी वो, “विजय गोयल झूठ बोल रहे हैं” बोलते रहे।
नायडू ने सदस्यों को चेतावनी दी कि वे गोयल को बोलने दें और उनके बोलते वक्त, सदन में पानी की बोतलें, वॉटर प्यूरीफायर, एयर मास्क और अन्य चीजों का प्रदर्शन न करें। सभापति ने संजय सिंह से कहा कि वह इस विभाग के मंत्री नहीं हैं, जिन्हें गोयल के प्रश्न का उत्तर देने की जरूरत हो। नायडू ने सिंह को कहा, “अपने फेफड़ों पर ज्यादा दबाव न डालें। उन पर पहले से ही बहुत दबाव है।” सभापति ने कहा कि राज्यसभा वरिष्ठों की सभा है और सदन में सभी को नियमों का शालीनता से पालन करना चाहिए।