मंत्रीमंडल में फेर-बदल के दौरान स्मृति इरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय से हटाकर टेक्सटाइल मंत्रालय को दिए जाने को अलग-अलग ढंग से देखा जा सकता है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर गड़बड़ कहां हुई और कौन से ऐसे अधूरे काम स्मृति ईरानी पीछे छोड़ गई है। यही वजह है कि नए मंत्री प्रकाश जावेडकर ने आज अपने दिन की शुरुआत स्मृति इरानी से मुलाकात करके की। साथ ही स्मृति ईरानी को नए राजनीतिक फलक पर उतारने के तौर पर भी इसे बदलाव को देखा जा रहा है।
स्मृति इरानी को प्रधानमंत्री के जितना भी करीब क्यों न माना जाता रहा है लेकिन वह प्रधानमंत्री के कई ड्रीम प्रोजेक्ट को ठीक से लागू कर पाने में न सिर्फ असफल रहीं, बल्कि रोड़ा भी लगाती रही। अब यह उन्होंने अनजाने में किया या अहंकार में, इस पर चर्चा करने से फायदा नहीं।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय का प्रधानमंत्री कार्यालय से वर्ल्ड क्लास यूनीवर्सिटी को स्वायत्ता देने के मुद्दे पर टकराव बहुत तीखा हो गया था। यह टकराव इतना तीखा हो गया कि आगे का रास्ता निकालने के लिए रखी गई 2 जुलाई की बैठक को भी रद्द करना पड़ा। गौरतलब है कि इस साल केंद्रीय बजट में सबसे बड़ा आवंटन ग्लोबल स्टैंडर्ड पर 20 संस्थानों को तैयार करने के लिए किया गया था। विश्व स्तरीय विश्वविद्यालय प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है।
सिर्फ इतना ही नहीं कई और बिलों को लेकर भी असहमतियां बढ़ती जा रही थी। इन पर बढ़ रहे अंतर्विरोध सार्वजनिक हो रहे थे। आईआईएम बिल से लेकर तमाम अहम पदों पर नियुक्तियों को लेकर मंत्रालय चर्चा में बना हुआ था। कई बार प्रधानमंत्री कार्यालय और प्रधानमंत्री के सचिव नृपेंद्र मिश्रा तक के हस्तक्षेप की जरूरत पड़ी। वैसे नई शिक्षा नीति की तैयारी स्मृति ईरानी ने पूरी कर ली थी। इसे लेकर संघ सहित भाजपा में कोई असंतोष नहीं था।
लेकिन शिक्षा के मामले खास तौर से उच्च शिक्षा में हैदराबाद से लेकर जेएनयू तक के विवादों से निपटने में केंद्र सरकार को खासा समय जाया करना पड़ रहा था।