पांच महीने पहले राष्ट्रवाद की लहर पर सवार जिस भाजपा ने हरियाणा में लोकसभा की सभी 10 सीटों पर जीत के साथ 79 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल की थी। वहीं भाजपा विधानसभा चुनाव में करीब आधी सीटों पर सिमट गई है। राष्ट्रवाद की लहर के आगे स्थानीय मुद्दों व सरकार के प्रति नाराजगी ने भाजपा के ‘75 पार’ को हरियाणा की जनता ने नकार दिया है। 75 पार के लक्ष्य से करीब आधी सीटों पर सिमटी भाजपा का जनता के मुद्दे और मूड को भांपे बगैर 75 पार का नारा जनता को गवारा नहीं हुआ। भाजपा की मनोहर लाल खट्टर सरकार के 8 कैबिनेट मंत्रियों, विधानसभा स्पीकर व पार्टी अध्यक्ष सुभाष बराला की करारी हार से जनता ने सरकार के प्रति भारी नराजगी जता दी है। धारा 370,एनआरसी के शोर-शराबे के बीच स्थानीय मुद्दों से इतर भाजपा के सूखे घोषणा पत्र के आगे कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी के घोषणा पत्र में किसान कर्ज माफी, युवाओं को बेरोजगारी भत्ता और 5000 रुपए बुढ़ापा पेंशन जैसे लोकलुभावन वादे भी कहीं न कहीं काम कर गए।
खिलाड़ियों पर खेला गया दांव नहीं चला
सूबे में जाट व गैर जाट समीकरणों को साधने के लिए भाजपा का 90 विधानसभा सीटों में से 17 पर जाट चेहरों को उतारने का फॉमूर्ला भी कारगर साबित नहीं हुआ। बीजेपी के चार दिग्गज जाट चेहरों में पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की विधायक पत्नी प्रेमलता को उंचाना कलां सीट से जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के दुष्यंत चौटाला से करारी हार का सामना करना पड़ा। वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु को नारनोंद में जेजेपी के ही रामकुमार गौतम ने पटखनी दे दी है। कृषि मंत्री ओपी धनखड़ को बादली से हार का सामना करना पड़ा। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला को टोहाना से जेजेपी ने ही 50,000 से अधिक मतों से धूल चटा दी। कैबिनेट मंत्रियों में हारने वाले बड़े चेहरों में महेंद्रगढ़ से शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा, सोनीपत से लगातार तीन बार की विधायक रहीं स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन, परिवहन मंत्री कृष्ण पंवार, मंत्री कर्णदेव कंबोज व कृष्ण बेदी को भी करारी हार का सामना करना पड़ा। खिलाड़ियों पर खेला गया दांव भी भाजपा को रास नहीं आया। हॉकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह को छोड़कर पहलवान योगेश्वर दत्त व बबीता फोगाट का दांव भाजपा में नहीं चला।
जेजेपी पर भाजपा को समर्थन का दबाव
बहुमत से 7 सीटें दूर भाजपा पूरे जोड़ तोड़ से सरकार बनाने में लगी है। सूत्रों के मुताबिक, इसके लिए जेजेपी पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री एंव चौटाला परिवार के करीबी पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल के मारफत भारी दबाव बनाया जा रहा है। 10 महीने पहले इनेलो से टूट कर अस्तित्व में आई। 10 विधायकों की दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के तीन से चार विधायकों को केबिनेट मंत्री पद के अलावा दुष्यंत या उनकी विधायक मां नैना चौटाला को उपमुख्यमंत्री पद की पेशकश की जा सकती है। सूत्रों की मानें तो अंदरखाने की सबसे बड़ी इमोशनल सौदेबाजी अजय सिंह चौटाला की जेल से रिहाई के रुप में हो सकती है। टीचर भर्ती घोटाले के आरोप में अजय सिंह अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के साथ 2013 से तिहाड़ जेल में 10 वर्ष की कैद की सजा काट रहे हैं। बीजेपी से हाथ मिलाकर जेजेपी को दोहरा फायदा मिलता दिख रहा है। एक तो सत्ता में अहम भागीदारी दूसरा अजय चौटाला की समय से पहले रिहाई। ‘आउटलुक’ से बातचीत में दुष्यंत चौटाला ने कहा कि उनकी भूमिका सिर्फ एक विधायक की है। उनकी पार्टी के विधायक तय करेंगे कि वे किस दल के लिए किंगमेकर साबित होंगे या किंग बनने के लिए अभी और धैर्य रखेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि परिवर्तन के लिए जनता ने उनके दल को समर्थन दिया है इसलिए वरीयता परिर्वतन के साथ रहेगी।
भाजपा के 120 दिन बनाम कांग्रेस के 20 दिन
जुलाई से सभी 90 विधानसभा हलकों से जनआर्शिवाद यात्रा के साथ चुनाव प्रचार शुरु करने वाले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीब 120 दिन चुनाव प्रचार की तुलना में सिर्फ 20 दिन चुनाव प्रचार करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई में कांग्रेस का प्रदर्शन उम्मीद से कहीं बेहतर रहा है। 90 में से 58 सीटें अपनी पंसद के विधायकों को दिलाने वाले हुड्डा का कद्द कांग्रेस हाइकमान की नजरों में बढ़ा है इसलिए सोनिया गांधी ने सरकार बनाने के लिए करने वाले जोड़ तोड़ की छूट हुड्डा को दी है। इधर हुड्डा ने 8 आजाद विधायकों से संपर्क तेज कर दिए हैं। इन 8 विधायकों में से 5 पूर्व कांग्रेसी रहे हैं। जेजेपी को अपने समर्थन में लाने के लिए हुड्डा ने गैर भाजपा दलों को एक साथ आने का आहवान किया है। कांग्रेस प्रवक्ता केवल ढिंगरा का कहना है कि हुड्डा को चुनाव प्रचार समिति की कमान और विपक्ष नेता का पद देने में कांग्रेस ने बहुत देरी की। यदि यही काम लोकसभा चुनाव के समय किया होता तो नतीजे कुछ और होते।