स्पेन का संकट और गहरा गया है। कैटेलोनिया की संसद ने स्पेन से आजादी का ऐलान कर दिया है। 135 सदस्यीय संसद में शुक्रवार को 70 वोट प्रस्ताव के पक्ष में और 10 विरोध में पड़े। सोशलिस्ट पार्टी, पीपुल्स पार्टी के सांसदों ने विरोध में मतदान का बहिष्कार किया। स्पेन की चेतावनियों और उसके सहयोगियों की ठंडी प्रतिक्रिया को दरकिनार कर संसद ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि स्पेन इसे मान्यता नहीं देगा। स्पेन का संवैधानिक कोर्ट भी इसे अवैध करार दे सकता है।
कैटेलोनिया के इस फैसले के बाद स्पेन के प्रधानमंत्री मेरियानो रोजॉय ने देशवासियों से शांति कायम रखने की अपील की। हाल ही में स्पेन की सरकार ने कहा था कि अब कैटेलोनिया को सीधे तौर पर अपने नियंत्रण में लिया जाएगा। स्थानीय सरकार को हटाकर फिर से चुनाव कराए जाएंगे।
कैटेलोनिया प्रांत काफी समय से देश से अलग होने का प्रयास कर रहा है। इससे पहले 10 अक्टूबर को कैटेलोनिया के राष्ट्रपति ने प्रतीकात्मक तौर पर आजादी की घोषणा की थी। स्पेन के संवैधानिक न्यायालय द्वारा असंवैधानिक करार दिए जाने के बावजूद एक अक्टूबर को कैटेलोनिया में जनमत संग्रह हुआ था। कैटेलोनिया की सरकार ने नतीजों का ऐलान करते हुए कहा था कि 90 फीसद लोग स्पेन से अलग होने के पक्ष में है। गौर करने वाली बात यह है कि जनमत संग्रह में केवल 43 फीसद मतदान ही हुआ था।
रायटर के मुताबिक, कैटेलोनिया हर साल स्पेन को 12 अरब डॉलर टैक्स देता है। स्पेन का करीब 25 फीसद निर्यात इसी प्रांत से होता है। जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी तकरीबन 20 फीसद है। स्पेन पर लगभग 120 लाख करोड़ का कर्ज है। कैटेलोनिया से प्राप्त राजस्व का बड़ा हिस्सा स्पेन सरकार अपने कर्ज पाटने के लिए करती है। इसी कारण से 76 लाख की आबादी वाले इस प्रांत के बहुत से लोगों का मानना है कि स्पेन में उनके साथ भेदभाव हो रहा है।