प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्व घोषित प्रशंसक किश्वर ने उमा सेनगुप्ता से खरी बातचीत में ईरानी को यह मंत्रालय दिए जाने संबंधी पीएम की पसंद पर अपनी बेबाक राय रखी। पेश हैं :
आपने स्मृति ईरानी की मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में नियुक्ति को अनर्थकारी बताया था। दस महीने बाद क्या आप अपनी राय की समीक्षा करना चाहेंगी?
सिर्फ मैं ही नहीं, अब और लोग भी मेरे विचार से सहमत हैं। वो लोग भी जो उन्हें एक मौका देने के पक्ष में थे या वो जिन्हें लगता था कि मैं बेजा आपत्ति उठा रही हूं अब यह मान रहे हैं कि उनका प्रदर्शन उनकी अपेक्षा से भी बहुत बुरा रहा है।
आपने कहा था कि प्रधानमंत्री सही काम के लिए सही व्यक्ति के चुनाव में कुशल हैं। फिर उन्होंने स्मृति ईरानी को इस पद के लिए क्यों चुना?
भाजपा में कोई एक शख्स बताएं जिसके पास इसका जवाब हो। चूंकि किसी के पास इसका जवाब नहीं है इसलिए कई तरह की अफवाहें फैल रहीं हैं। यह निश्चित रूप से प्रधानमंत्री और ईरानी दोनों के लिए अच्छा नहीं है। इस मामले में सभी के लिए अनुमान के दरवाजे खुले हैं।
निश्चित रूप से प्रधानमंत्री के पास इस फैसले की कोई अच्छी वजह होगी?
दुर्भाग्य से उनकी नियुक्ति शिक्षा के लिए एक गंभीर अवहेलना साबित हुई है। हमें मानना होगा कि शिक्षा जगत में गंभीर संकट की स्थिति है। सीएसडीएस में आने वाले कुछ प्रशिक्षुओं को जिनके पास पीएचडी की डिग्री तक है, चार सीधी लाइनें लिखनी भी नहीं आती। थाईलैंड जैसे देश भी इस क्षेत्र में हमसे आगे निकल गए हैं। इस निराशा की स्थिति में हमें चीजों को दुरुस्त करने की जरूरत है जिसके लिए दूरदर्शिता, क्षमता और नेतृत्व के गुणों की जरूरत है जो कि उनमें नहीं है। वह खुद से एक चुनाव नहीं जीत सकतीं। उनके पास कोई निर्वाचन क्षेत्र, कोई संगठित समूह या वोटबैंक भी नहीं है।
क्या यह मानना ज्यादा आसान नहीं है कि दरअसल प्रधानमंत्री ही असल में मानव संसाधन मंत्री हैं?
नहीं, ऐसा नहीं है क्योंकि वह बहुत ही व्यस्त हैं। कितने मंत्रालय सूक्ष्म प्रबंधन से चलाए जा सकते हैं? राज्यों में ऐसा किया जा सकता है मगर केंद्र के स्तर पर नहीं।
तो आप मानती हैं कि उन्हें हटा दिया जाए या फिर कम महत्वपूर्ण मंत्रालय में भेज दिया जाए?
हमें इसका सामना करना होगा। वह एक बुरी प्रशासक हैं। मैं जैम या अचार मंत्रालय के लिए भी उनका भरोसा नहीं कर सकती। और मानव संसाधन विकास के बारे में मेरा मानना है कि यह रक्षा और वित्त से भी महत्वपूर्ण मंत्रालय है। सिर्फ इसलिए नहीं कि इसकी नीतियों से डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक तथा अन्य प्रोफेशनल तैयार होते हैं बल्कि इसलिए भी कि यह मंत्रालय राजनीति के लिए भी सॉफ्टवेयर तैयार करता है। इस मंत्रालय में कांग्रेस सरकारों और नुरुल हसन जैसे मंत्रियों ने जो किया उसकी वजह से ही बुद्धिजीवियों की तरफ से भाजपा को उच्छृंखल विरोध (कई बार अन्यायपूर्ण) झेलना पड़ता है। मगर स्मृति ईरानी इन चुनौतियों को समझ तक नहीं सकतीं। ये ऐसा ही है कि मुझे वित्त मंत्री बना दिया जाए जबकि मुझे अपने वेतन के विभिन्न घटकों तक की समझ नहीं है।