बीते 6 अप्रैल को जब दिल्ली और आसपास के इलाके, ‘भाई संजय जोशी को जन्मदिन की शुभकामनाओं’ के पोस्टर से अट गए तब तक कोई सुगबुगाहट नहीं थी। भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं ने इसे सिर्फ कोई खास तवज्जो नहीं दी। संजय जोशी का जन्मदिन आया और बीत गया।
धीरे-धीरे दबे स्वर में यह खबर भाजपा अध्यक्ष तक पहुंची और किसी ने उन्हें यह गणित समझाया कि दरअसल संजय जोशी से कुछ लोग रिश्ते बनाए रखना चाहते हैं ताकि जब उनकी ‘घर वापसी’ हो तो यही ‘पोस्टर निवेश’ का ब्याज मिल सके। पोस्टर पर तीन मंत्रियों के मातहत कर्मचारियों के नाम थे, जिसमें से संजीव बालियान ने पूरी तरह से अपना पल्ला झाड़ लिया है। बाकी बचे सर्वानंद सोनोवाल और श्रीपाद नाइक तो नाइक इसमें सबसे ज्यादा गहरे फंस गए हैं। नाइक ने अपने निजी सहयोगी नितिन सरदारे को कार्यमुक्त कर दिया है। सरदारे ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
तीनों मंत्रियों की पेशी पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की अदालत में हुई जहां से खबर है कि वह फिलहाल मंत्रियों की सफाई से संतुष्ट हैं।
संघ, संजय जोशी को फिर मुख्यधारा में लाने का प्रयास करता रहता है यह सभी जानते हैं। यही वजह है कि एक धड़ा उनसे अच्छे रिश्ते बनाए रखना चाहता है ताकि जब भी बदलाव हो और वह कोई पद संभालें तो उनसे नए सिरे से दोस्ती न शुरू करना पड़े।
संजय की संघ से करीबी के चलते ही उनके साथ रहने वाले लोगों की संख्या में कई कमी नहीं आती है। इस बार भी जन्मदिन पर उनके घर कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों का अच्छा खासा जमावड़ा था।