अब सार्वजनिक उपक्रम बीएचईएल के लिए 40 हजार करोड़ रुपया फंस गया है। सरकार जहां भी उत्पादन और आमदनी बढ़ाने का विवरण तैयार करने को कहती है, विभाग अधूरे काम का दर्द सुना देता है। टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले और वोडाफोन से 20 हजार करोड़ की वसूली के विवाद से टेलीकॉम सेक्टर ही नहीं, अन्य विदेशी कंपनियां समझौतों के बावजूद धनराशि भारत में नहीं लगा रहीं। पराकाष्ठा राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में आ रही दिक्कतों की है, जिससे 45 हजार करोड़ रुपया फंस गया है। इसमें 2011 से बन रहे दिल्ली-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग का काम अटकना शामिल है।
अपने ही जाल में फंसा 40 हजार करोड़
भारतीय जनता पार्टी ने कोयला खान आवंटन में गड़बड़ी पर बड़ा राजनीतिक जाल बिछाया और यह विवाद भी कांग्रेस पतन का कारण बना। भाजपा सत्ता में आ गई, लेकिन पिछले तीन वर्षों में कोयला कंपनियां कानूनी मामलों में फंस गईं और भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) से बिजली संयंत्र खरीदने के उनके सौदे अधर में लटक गए।

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