भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हरियाणा और महाराष्ट्र में भले ही सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी हो, लेकिन वह अपने बूते सरकार नहीं बना पाई। दोनों ही राज्यों में भाजपा के सीटों की संख्या पहले की तुलना में घटी। इसके पीछे वजह मानी जा रही है कि चुनावों में अनुच्छेद 370 जैसे राष्ट्रीय मुद्दों की जगह स्थानीय मुद्दे हावी रहे, जिसे भाजपा भांप नहीं पाई और कुछ सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। खबर है कि इन नतीजों के बाद भाजपा चुनावी रणनीति को लेकर ऊहापोह की स्थिति में है, क्योंकि दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार स्थानीय मुद्दे और अपने काम को भुनाने की कवायद में हैं, तो भाजपा कभी राष्ट्रीय मुद्दे तो कभी स्थानीय मुद्दों को हवा दे रही है।
महाराष्ट्र और हरियाणा के नतीजे के बाद अब जबकि भाजपा दिल्ली फतह की तैयारी में जुट गई है, लेकिन आम आदमी पार्टी सरकार की लोकप्रिय योजनाओं जैसे मुफ्त पानी-बिजली, स्वास्थ्य-शिक्षा और अब सरकारी बसों में महिलाओं की मुफ्त यात्रा का काट तलाशने में भाजपा को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने 1797 अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की घोषणा से 40 लाख लोगों को लाभ देने का ऐलान किया। इसे भुनाने के लिए दिल्ली में कई जगह बड़े-बड़े बैनर और होर्डिंग लगाए गए हैं। लेकिन इन होर्डिंग्स पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी तसवीर लगी है। इससे चर्चा चल पड़ी कि भाजपा दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता को भुनाने की रणनीति पर ही काम कर रही है।
इसके अलावा दिल्ली भाजपा के बड़े नेता एनआरसी का भी जिक्र जोर-शोर से करते हैं। उनका कहना है कि कानून-व्यवस्था संभालने के लिए हर मुद्दे पर तो बात करनी पड़ेगी। एनआरसी जरूरी है, क्योंकि विदेशों से जो लोग घुसपैठ करके आ रहे हैं, वे अपराध करके निकल जाएंगे, तो हम उन्हें पकड़ेंगे कैसे। वे यह भी कहते हैं कि अवैध विदेशी घुसपैठियों की संख्या बहुत खतरनाक है। दिल्ली में 80 फीसदी अपराध में ऐसे ही अवैध घुसपैठियों का हाथ है।
पार्टी प्रधानमंत्री मोदी का नाम, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाने, तीन तलाक कानून, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी भरोसा कर रही है। पर हालिया संपन्न हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा के नतीजों से जाहिर होता है कि इन चुनावों में स्थानीय मुद्दों ने भाजपा का खेल बिगाड़ने का काम किया। हालांकि, भाजपा के एक वरिष्ठ नेता कई मौकों पर यह कहते देखे गए कि भाजपा सिर्फ राष्ट्रीय मुद्दों के भरोसे नहीं है। उनका जोर स्थानीय मुद्दों पर भी है। चाहे वह अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का मामला हो या आप सरकार द्वारा जनता को मुफ्त पानी-बिजली देने के नाम पर उन्हें बरगलाने का मसला। भाजपा इन मसलों को भी उठा रही है।
इन रणनीतियों को लेकर कहा जा रहा है कि हरियाणा और महाराष्ट्र के नतीजों के बाद भाजपा दुविधा में फंस गई है कि वह राष्ट्रीय मुद्दों के सहारे आगे बढ़े या फिर स्थानीय मुद्दों के हिसाब दिल्ली की चुनावी रणनीति तैयार करे।