कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाले के मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद बुधवार को आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और आयकर विभाग के साथ गठबंधन कर रखा है और इन जांच एजेंसियों को विपक्षी नेताओं के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने यह उल्लेख करते हुए पिता-पुत्र के खिलाफ शिकायत रद्द कर दी कि उन पर मुख्य अपराध का कोई मामला नहीं है और ना ही धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कोई मामला बनता है। सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मोदी सरकार ने ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग के साथ गठबंधन कर रखा है। 10 से 20 प्रतिशत राजनीतिक पहलू वाले मामलों में 99 प्रतिशत मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ होते हैं। वहीं, पार्टी बदल देने पर अचानक सारे मामले रुक या बंद हो जाते हैं। कई बार गिरफ्तारी के बाद लोग सरकारी गवाह बन जाते हैं और सब कुछ सही हो जाता है।’’
उनका कहना था, ‘‘छत्तीसगढ़ के तथाकथित शराब घोटाले के मामले में उच्चतम न्यायालय ने कुछ बातें सामने रखी हैं। सबसे पहले न्यायालय ने कहा कि हम पूरा मामला ख़ारिज करते हैं और इसमें तो धनशोधन का मामला भी नहीं बन रहा है। अदालत ने यह भी कहा कि केवल काल्पनिक, कुत्सित राजनीतिक मंशाओं के कारण, शासन-प्रशासन को बदनाम करने, पूर्व मुख्यमंत्री (भूपेश बघेल) पर आरोप लगाने और आयकर विभाग की ताबड़तोड़ छापेमारी के आधार पर इसे ईडी का मामला बनाया गया था।’’
सिंघवी ने दावा किया, ‘‘यह सब इसलिए किया गया, क्योंकि चुनाव होने थे। ऐसे में जब चुनाव का बिगुल बजा तो ईडी का बिगुल भी बज गया।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की पूरी कहानी राजनीतिक द्वेष के कारण रची थी और इस मामले में कई लोगों से रात-रात भर पूछताछ की गई और उन्हें प्रताड़ित किया गया। सिंघवी का कहना था, ‘‘यह मामला एक चुनावी अभियोजन था।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘यदि घोटाला हुआ तो ईडी ने इतनी लंबी जांच के बाद अदालत के सामने धनशोधन के एक भी सबूत क्यों नहीं रखे? यदि अपराध शराब निर्माताओं की फैक्टरी से शुरू हुआ तो क्या एक भी शराब निर्माता को ईडी ने गिरफ्तार किया? क्या ईडी ने एक भी आबकारी अधिकारी को गिरफ्तार किया?’’ सिंघवी ने यह सवाल भी किया, ‘‘अगर ये सभी दोषी थे तो छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार बने हुए महीनों हो चुके हैं, उसके बाद भी अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?