हरियाणा में तीन निर्दलीय विधायकों के भाजपा सरकार से समर्थन वापसी के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की परेशानियां बढ़ती नजर आ रही है। विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद हरियाणा सरकार अल्पमत में आ गई है, जिसको लेकर विपक्ष उनपर हमलावर हो गई है। हरियाणा के रोहतक सीट से कांग्रेस उम्मीदवार दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने भाजपा पर वार करते हुए कहा कि अल्पमत की सरकार का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। इस सरकार को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार हुड्डा ने कहा, “हरियाणा में अल्पमत की सरकार है। इस सरकार को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए। यदि इस्तीफा नहीं देती तो राज्यपाल महोदय को मामले का संज्ञान लेते हुए हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लगा कर निष्पक्षता से चुनाव कराना चाहिए। ये हमारी मांग है। साथ ही जेजेपी पार्टी को लिखित में राज्यपाल को देना चाहिए कि वो भाजपा सरकार के समर्थन में नहीं बल्कि भाजपा के अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में हैं। नहीं तो इनपर कौन विश्वास करेगा।”
आपको बता दें कि बीते मंगलवार को हरियाणा के भाजपा सरकार से तीन निर्दलीय निधायकों ने समर्थन वापस लिया और कांग्रेस पार्टी को समर्थन दे दिया। 90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में फिलहाल 88 विधायक ही हैं। करनाल से भाजपा के मनोहर लाल खट्टर और रानियां से निर्दलीय रणजीत चौटाला ने भाजपा की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। अब बचे 88 विधायकों में 40 विधायक भाजपा के हैं, 30 कांग्रेस के और 10 विधायक जननायक जनता पार्टी के हैं।
इंडियन नेशनल लोकदल और हरियाणा लोकहित पार्टी के भी एक-एक विधायक हैं। बाकी बचे 6 विधायक निर्दलीय हैं। भाजपा को 40 विधायकों के अलावा 2 निर्दलीय और 1 हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक का समर्थन प्राप्त है। जबकि बहुमत के लिए विधानसभा में भाजपा के पास 45 सीटों का होना अनिवार्य है जो कि फिलहाल 43 हैं। यहीं कारण है कि कांग्रेस हरियाणा के नायब सिंह सैनी सरकार पर हमला बोल रही है।
गौरतलब है कि भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने वाले विधायकों में चरखी दादरी से विधायक सोमबीर सांगवान, पूंडरी से रणधीर सिंह गोलन और नीलोखेड़ी से निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर हैं।