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हिमंत बिस्वा सरमा ने किया बड़ा ऐलान: सरकारी कार्यों में अनिवार्य होगी असमिया भाषा

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को मजबूत करने की दिशा में...
हिमंत बिस्वा सरमा ने किया बड़ा ऐलान: सरकारी कार्यों में अनिवार्य होगी असमिया भाषा

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य में बोहाग बिहू मनाया जा रहा है। इस अवसर पर सीएम ने असमिया भाषा को किसी भी आधिकारिक काम काज के लिए दस्तावेजों में असमिया भाषा का उपयोग अनिवार्य करने का आदेश दिया है। यह निर्णय असमिया भाषा को बढ़ावा देने और इसे राज्य के प्रशासनिक कार्यों में प्रमुखता देने के उद्देश्य से लिया गया है।

बता दें कि असमिया भाषा को आधिकारिक भाषा का दर्जा पहले से ही प्राप्त है। हालांकि, सरकारी कार्यों में अंग्रेजी और अन्य भाषाओं का उपयोग भी प्रचलित रहा है। मुख्यमंत्री का यह नया आदेश असमिया भाषा को न केवल प्रतीकात्मक रूप से, बल्कि व्यावहारिक रूप से भी प्रशासन का अभिन्न अंग बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है। हालांकि असम के लोग अपनी संस्कृति, पहनावे और भाषा को लेकर पहले से ही कट्टर और सजग माने जाते हैं। 

हिमंत बिस्वा सरमा ने इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा, “असमिया भाषा हमारी संस्कृति और पहचान का आधार है। इसे बढ़ावा देना हमारा कर्तव्य है। बोहाग के शुभ अवसर पर हम यह संकल्प लेते हैं कि सरकारी कार्यों में असमिया भाषा को प्राथमिकता दी जाएगी।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस निर्णय का उद्देश्य अन्य भाषाओं को दबाना नहीं, बल्कि असमिया भाषा को उसका उचित स्थान दिलाना है।

इस आदेश के तहत, सभी सरकारी विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने दस्तावेजों, अधिसूचनाओं और नियमावलियों को असमिया में तैयार करें। इसके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और तकनीकी सहायता भी प्रदान की जाएगी ताकि कार्यान्वयन में कोई कठिनाई न हो। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल असमिया भाषा के संरक्षण में मदद करेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के बीच सरकारी प्रक्रियाओं की समझ को भी बढ़ाएगा।

हालांकि, कुछ लोग इस निर्णय को लेकर चिंता जता रहे हैं कि इससे अन्य भाषा-भाषी समुदायों, जैसे बोडो, बंगाली या हिंदी बोलने वालों को असुविधा हो सकती है। इसके जवाब में सरकार ने आश्वासन दिया है कि अन्य भाषाओं का सम्मान करते हुए असमिया को प्राथमिकता दी जाएगी। यह निर्णय असम के लोगों में अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति गर्व की भावना जागृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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