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अगर कोई कहता है कि धर्मनिरपेक्षता खराब है, लोकतंत्र खतरनाक है तो इसे स्वीकार नहीं कर सकती: ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि अगर कोई कहता है कि धर्मनिरपेक्षता खराब है या...
अगर कोई कहता है कि धर्मनिरपेक्षता खराब है, लोकतंत्र खतरनाक है तो इसे स्वीकार नहीं कर सकती: ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि अगर कोई कहता है कि धर्मनिरपेक्षता खराब है या लोकतंत्र खतरनाक है तो वह इसे स्वीकार नहीं कर सकतीं। उन्होंने दावा किया कि देश में संघवाद को "पूरी तरह से ध्वस्त" कर दिया गया है और आरोप लगाया कि कई राज्यों को जीएसटी का अपना हिस्सा नहीं मिल रहा है।

उन्होंने कहा, "अगर कोई कहता है कि धर्मनिरपेक्षता खराब है, समानता अकल्पनीय है, लोकतंत्र खतरनाक है और संघीय ढांचा एक आपदा है, तो हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते। अगर कोई कहता है कि संविधान को बदलने की जरूरत है, तो यह किसी विचारधारा या किसी दृष्टिकोण को खुश करने के लिए है।"

'द टेलीग्राफ' की राष्ट्रीय बहस 'इस सदन का मानना है कि भारत को नए संविधान की आवश्यकता नहीं है' पर बोलते हुए, जिसका एक वीडियो उन्होंने शनिवार को अपने फेसबुक पेज पर साझा किया, बनर्जी ने सवाल किया कि क्या भारत राष्ट्रपति चुनाव की ओर बढ़ रहा है।

बनर्जी ने कहा कि संविधान की भावना उसकी प्रस्तावना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश का संविधान लोकतंत्र, संघवाद और धर्मनिरपेक्षता का ख्याल रखते हुए बहुत ही परिश्रमपूर्वक बनाया गया था। बनर्जी ने कहा कि मौलिक अधिकारों और देश की संप्रभुता के बीच अच्छे संतुलन को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।

उन्होंने कहा, "अगर संविधान केवल एजेंसी द्वारा, एजेंसी के लिए और एजेंसी द्वारा चलाया जाएगा, तो हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते। संविधान लोगों का, लोगों द्वारा और लोगों के लिए है। मुझे बोलने का कोई अधिकार नहीं है। अगर मैं दृढ़ता से कहूंगी तो कल ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) मेरे घर आ जाएगी।"

बनर्जी ने नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि उन्होंने राजीव गांधी से लेकर मनमोहन सिंह तक कई प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है, लेकिन 'इतना अच्छा प्रधानमंत्री' नहीं देखा।

यह कहते हुए कि टीएमसी राजनीतिक शिष्टाचार बनाए रखती है, उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी सभी राजनीतिक दलों और नेताओं का सम्मान करती है। यह याद करते हुए कि डॉ. बीआर अंबेडकर बंगाल से संविधान सभा के लिए चुने गए थे, उन्होंने कहा कि उनके आदर्शों और दूरदर्शिता ने एक मजबूत लोकतंत्र की नींव रखी, जिससे सभी नागरिकों के लिए न्याय, समानता और स्वतंत्रता सुनिश्चित हुई।

बनर्जी ने कहा कि संविधान ने विशाल देश की संस्कृति, भाषा, धर्म और समुदाय की विविधता के बीच एकता जगाने का भी कठिन काम किया और हर भारतीय को बांध कर रखा। उन्होंने कहा कि देश की आवश्यकता के लिए संविधान में भी संशोधन किया गया है। उन्होंने कहा, "लेकिन आजकल जो कुछ चल रहा है, मुझे डर लग रहा है। यह एक भयानक चीज है जो चल रही है। एक इंसान, एक सामान्य व्यक्ति के रूप में, मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकती।"

उन्होंने सवाल किया कि लोकतंत्र और संविधान की क्या जरूरत है अगर "कोई हमें बताए कि क्या खाना चाहिए, क्या पहनना चाहिए या कौन सी भाषा बोलनी चाहिए"। उन्होंने कहा, "हम शांति से रहना चाहते हैं और हर किसी को ऐसा करने का अधिकार है।"

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