उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश में सुनियोजित तरीके से धर्मांतरण हो रहा है जो हमारे मूल्यों और संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत है. धनखड़ ने साथ ही कहा कि ‘शुगर कोटेड फिलॉसफी’ बेची जा रही है और समाज के कमजोर वर्गों को निशाना बनाया जा रहा है. धनखड़ ने परोक्ष रूप से कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा कि जो लोग सनातन धर्म में विश्वास नहीं करते और इसे संकट मानते हैं, वे ‘‘मूर्खता के प्रतीक’’ हैं. उपराष्ट्रपति ने यहां हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला 2024 में उद्घाटन भाषण में कहा कि यह बहुत खतरनाक है और यह ‘‘नीतिगत, संस्थागत और सुनियोजित साजिश’’ के तहत हो रहा है.
धनखड़ ने कहा ‘‘ ‘शुगर कोटेड फिलॉसफी’ बेची जा रही है. आदिवासियों सहित समाज के कमजोर वर्गों को निशाना बनाया जा रहा है और उन्हें प्रलोभन दिया जा रहा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम धर्म परिवर्तन देख रहे हैं और यह हमारे मूल्यों और संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत है. ऐसी भयावह ताकतों को बेअसर करने की तत्काल आवश्यकता है. हमें सतर्क रहना चाहिए और तेजी से कार्य करना चाहिए. आप कल्पना नहीं कर सकते कि वर्तमान में भारत को खंडित करने में सक्रिय लोगों की सीमा कितनी है.’’ धनखड़ ने किसी का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘मैं इस बात से चिंतित हूं कि कुछ लोगों को देश और विदेश में उन लोगों के साथ बैठने का साहस कहां से मिलता है जो राष्ट्र के हित में नहीं हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग इस राष्ट्र को तोड़ना चाहते हैं, जो सनातन को नहीं मानते और जो सनातन को संकट मानते हैं, वे मूर्खता की पराकाष्ठा हैं....’’
उन्होंने कहा कि यह चुप रहने का समय नहीं है ‘‘यह सदी भारत की है, यह सदी सनातन धर्म की भूमि की है.’’ धनखड़ ने यह भी कहा कि संविधान की प्रस्तावना सनातन धर्म का सार दर्शाती है. उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे संवैधानिक मूल्य सनातन धर्म से निकले हैं. संविधान की प्रस्तावना सनातन धर्म का सार दर्शाती है. सनातन समावेशी है! सनातन ही मानवता को आगे बढ़ाने का एकमात्र रास्ता है.’’ उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम वर्तमान समय में अत्यंत प्रासंगिक है. उन्होंने कहा कि हमारे सामने कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो चुनौतीपूर्ण हैं, जिनका समाधान विश्व को भारत ही दे सकता है. धनखड़ ने कहा,‘‘ आज भी हिंदू समाज में सेवा का भाव प्रबल रूप से विद्यमान है. जब देश में कोविड का संकट आया, हमने देखा कि यह भाव कितना प्रबल रहा.’’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि आक्रमणकारी आएं, विदेशी ताकतें आईं, उनका शासन रहा फिर भी हमारे सेवा संस्कार में कोई कमी नहीं रही. लोग इस पथ पर चलते रहे.