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झारखंड: मुख्‍यमंत्री पुरानी पेंशन पर करा रहे पुनर्विचार, यह क्‍या बोल गये वित्‍त मंत्री रामेश्‍वर उरांव

पुरानी पेंशन योजना का आकर्षण या इसके फायदा के मर्म को सरकारी सेवक ही समझ सकते हैं। 2004 से इस योजना को देश...
झारखंड: मुख्‍यमंत्री पुरानी पेंशन पर करा रहे पुनर्विचार, यह क्‍या बोल गये वित्‍त मंत्री रामेश्‍वर उरांव

पुरानी पेंशन योजना का आकर्षण या इसके फायदा के मर्म को सरकारी सेवक ही समझ सकते हैं। 2004 से इस योजना को देश में बंद कर दिया गया। दरअसल कर्मियों के वेतन, पेंशन और ब्‍याज पर ही बजट का लगभग 75 प्रतिशत पैसा खर्च हो जा रहा था। देश भर के कर्मचारी संगठन पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग को लेकर लगातार आवाज उठाते रहे हैं। कर्मचारी वोट भी हैं। इसी को ध्‍यान में रखते हुए अपनी अपनी सरकार के दो साल पूरा होने पर मुख्‍यमंत्री हेमन्‍त सोरेन ने चारा फेंका। कि पुरानी पेंशन बहाली से संबंधित वादा मेरे संज्ञान में है। हमारी टीम इस पर काम कर रही है। सेवा निवृत्ति के बाद का भविष्‍य हम शेयर बाजार के भरोसे छोड़ने के पक्ष में नहीं हैं।


हेमन्‍त सरकार में वित्‍त मंत्री रामेश्‍वर उरांव के बोल इस मामले में कुछ अलग हैं। आउटलुक से बातचीत में उन्‍होंने कहा कि मुख्‍यमंत्री की घोषणा है मेरा इस पर कमेंट करना शोभा नहीं देता, सरकार में होने का अपना अनुशासन है। मैं उनके खिलाफ नहीं जा सकता। लेकिन आकलन तो करना होगा कि देना संभव है या नहीं। मेरी व्‍यक्तिगत राय है कि अभी का बजट, माली हालत, इसकी अनुमति नहीं देता। वे अपनी बात पूर्व मुख्‍यमंत्री बिंदेश्‍वरी दुबे के कथन के हवाले कहते हैं। कहते हैं, जब मैं सीनियर एसपी था, बजट पास कराने के बाद हमलोग सीएम आवास गये। चाय पीते पीते मुख्‍यमंत्री बिंदेश्‍वरी दुबे बोले, ‍बिहार का क्‍या काया कल्‍प होगा रामेश्‍वर बाबू, बजट का 76 प्रतिशत पैसा तो सैलरी और पेंशन में चला जाता है। 24 प्रतिशत में क्‍या विकास होगा। रामेश्‍वर उरांव कहते हैं कि आने वाले समय में और संकट बढ़ेगा सातवां वेतन से वेतन, पेंशन बढ़ गया है, लोगों की उम्र बढ़ गई है। अब 80-90 साल आसानी से जी लेते हैं। जितनी नौकरी में वेतन नहीं लेते उससे अधिक पेंशन में ले लेते हैं।

सरना धर्म कोड तो कांग्रेस का एजेंडा है
जनगणना में आदिवासी धर्म कोड को लेकर मुख्‍यमंत्री हेमन्‍त सोरेन और झामुमो लगातार मुखर है। विधानमंडल से प्रस्‍ताव पास कराने से लेकर नीति आयोग और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के फोरम से उठाने और सर्वदलीय शिष्‍टमंडल को दिल्‍ली ले जाने या राजभवन जाने तक। संदेश इस तरह जा रहा है कि आदिवासियों में गहरी पकड़ रखने वाला जेएमएम ही लीड कर रहा है। झारखंड के पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष और राज्‍य के वित्‍त मंत्री रामेश्‍वर उरांव की राय कुछ अलग है। कहते हैं कि सरना कोड कांग्रेस की देन है। जेएमएम का कभी नहीं रहा। वे इस मुद्दे पर कभी नहीं बोलते थे। आप उनका घोषणा पत्र पढ़ लीजिए, उसमें नहीं मिलेगा सरना कोड। सिर्फ कांग्रेस का और मेरा रहा। कांग्रेस के घोषणा पत्र में भी था। मैंने पार्टी को कहा कि आपको ट्राइवल को लुभाना है, जोड़ना है जो सेंटिमेंटल मुद्दा है सरना कोड। कब मिलेगा, नहीं मिलेगा यह हम नहीं जानते हैं। जगह जगह हम ही आंदोलन कराते थे। सरकार पर दबाव डलवाकर विधानसभा से पास करवाया।

साथ हैं तो उनके क्रेडिट लेने से फर्क नहीं पड़ता

राजनीतिक महकमे में एक चर्चा इधर तेज है कि हेमन्‍त सोरेन आधारभूत संरचना पर कम और वोट के इंतजाम वाले मुद्दों पर ज्‍यादा फोकस कर रहे हैं, फैसले ले रहे हैं। कांग्रेस और जेएमएम का वोट बैंक एक है ऐसे में हेमन्‍त कांग्रेस के वोट में सेंधमारी तो नहीं कर रहे। इस वाल पर रामेश्‍वर उरांव कहते हैं कि इस तरह के सवाल पूछने का मतलब आप मानकर चल रहे कि हम अलग-अलग लड़ेंगे। लेकिन हम एक साथ लड़ेंगे। पिछली बार भी अकेले-अकेले लड़े थे तो दोनों को हानि हुई थी। जब एकसाथ लड़े तो दोनों को फायदा हुआ। 2014 में लोग कहते थे पोल के बाद कि अगर कांग्रेस, जेएमएम, राजद साथ मिलकर लड़ते तो भाजपा के रघुवर दास को सत्‍ता नहीं मिलती। सीटें कम आईं, 2019 में यह गलती नहीं दोहराई तो सत्‍ता में आ गये। अगर हम किसी इगो में नहीं रहेंगे एकसाथ लड़ेंगे तो फिर सत्‍ता हासिल करेंगे। हमारा वोट बैंक एकदम सही है। वोट बैंक भी देखता है, दुविधा में रहता है कि दोनों प्रिय हैं किधर जायें। ऐसे में अलग-अलग लड़ने से वोटों का विभाजन हो जाता है।

 

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