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झारखंड: सरना धर्म कोड का मामला केंद्र के पाले में डालेंगे हेमंत सोरेन

केंद्र से चल रही खींचतान के बीच झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन जनगणना के कॉलम में आदिवासी-सरना...
झारखंड: सरना धर्म कोड का मामला केंद्र के पाले में डालेंगे हेमंत सोरेन

केंद्र से चल रही खींचतान के बीच झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन जनगणना के कॉलम में आदिवासी-सरना धर्म कोड शामिल करने के मामले को केंद्र के पाले में फेंकने जा रहे है। उप चुनाव के लिए दुमका में कैंप कर रहे मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडियाकर्मियों से कहा कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर अगले साल होने वाली जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड संबंधी प्रस्‍ताव पारित कर केंद्र को भेजेंगे। सत्र आहूत करने के लिए दो-तीन दिनों के भीतर वे राज्‍यपाल द्रौपदी मुर्मू से मिलेंगे। राज्‍य स्‍थापना दिवस यानी 15 नवंबर के पूर्व ही सदन की बैठक बुलायेंगे।


हेमंत सोरेन ने यह घोषणा कर एक तीर से दो शिकार वाली कार्रवाई की है। आदिवासियों की बहुलता वाले दुमका में आदिवासियों को खुश करने की कार्रवाई है तो दूसरी तरफ केंद्र की भाजपा सरकार को संशय में डालने वाली कार्रवाई होगी। राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ इसके बिलकुल पक्ष में नहीं है। संघ प्रमुख रांची में भी एलान कर चुके हैं कि हिंदू धर्म कॉलम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए आदिवासियों के बीच अभियान चलाया जायेगा। जाहिर है संघ के इस स्‍टैंड से इतर चलना केंद्र की भाजपा सरकार के लिए आसान नहीं होगा।

दरअसल प्रथम जनगणना यानी 1871 से आदिवासियों के लिए जनगणना कॉलम में अलग प्रावधान था। 1951 तक यह व्‍यवस्‍था रही। 1961 की जनगणना में इस कॉलम को विलोपित कर दिया गया। उसके बाद से ही कम-ज्‍यादा आवाज उठती रही। बीते झारखंड विधानसभा सत्र के दौरान और बाद में विभिन्‍न आदिवासी संगठनों ने धर्म कोड की मांग को लेकर प्रदर्शन, चक्‍का जाम, मानव श्रृंखला का निर्माण कर मांग के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया, एकजुटता दिखाई। यह सिलसिला जारी है।

विधानसभा के अगले सत्र के दौरान घेराव करने से लेकर संसद कूच करने तक की चेतावनी दी गई है। ईसाई संगठन भी इसके पक्ष में हैं। आधा दर्जन से अधिक बार अलग-अलग संगठनों ने मुख्‍यमंत्री से मुलाकात कर इसकी मांग की है। बीते विधानसभा सत्र के दौरान तो कांग्रेस के नेताओं ने इसकी तरफदारी करते हुए चालू सत्र में ही सदन से प्रस्‍ताव पारित कराने का भरोसा दे दिया था मगर ऐसा नहीं हो सका। समझा जाता है कि कांग्रेस को क्रेडिट न चला जाए इसलिए उस समय इस प्रस्‍ताव को सदन से पारित नहीं किया गया।

हाल ही जेएमएम के अनेक विधायकों ने मुख्‍यमंत्री को पत्र लिख कर सरना धर्म कोड के प्रस्‍ताव को पारित करने की मांग की। इससे लगता है कि हेमंत सोरेन की हामी के बाद ही उनके विधायकों ने ऐसा कदम उठाया। सवाल क्रेडिट का है, आदिवासियों की सहानुभूति हासिल करने का है। विभिन्‍न मौकों पर बड़े आदिवासी नेताओं ने कहा कि हमें कुछ नहीं जनगणना में पुराने प्रावधान की वापसी चाहिए। आदिवासी बहुल अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग नाम से कहीं सरना कहीं गोंड कहीं भिल्‍ली आदि नामों से अलग धर्म कोड की मांग होती रही। नाम में एकरूपता के अभाव में मामला केंद्र के स्‍तर से खारिज किया जाता रहा। इसे टालने के लिए आदिवासी संगठनों ने राष्‍ट्रीय स्‍तर पर सामूहिक विमर्श भी किया। आम सहमति बनाई कि आदिवासी धर्म कोड और कोष्‍ठक में सरना, गोंड आदि दर्ज किया जाये। बहरहाल मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका उप चुनाव (जहां से उनके छोटे भाई बसंत चुनाव लड़ रहे हैं) के मौके पर ऐसा एलान कर आदिवासियों को खुश होने की एक वजह दे दी है। समय बतायेगा कि केंद्र का इस पर रवैया क्‍या होता है।

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