उत्तर-पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस के उम्मीदवार कन्हैया कुमार ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल से बुधवार को उनके आवास पर मुलाकात की तथा ‘संविधान और लोकतंत्र को बचाने’ की गठबंधन की लड़ाई के प्रति समर्थन व्यक्त किया।
इस पर उन्होंने कहा, ‘‘हम न केवल दिल्ली में एक साथ लड़ रहे हैं, बल्कि विपक्षी गुट ‘इंडिया’ के घटक दल सभी 543 सीट पर लड़ रहे हैं। हम एकजुट हैं, जो भी रणनीति बनेगी वह किसी एक पार्टी या एक प्रत्याशी के लिए नहीं होगी, वह दिल्ली के लोगों के लिए होगी। यह किसी को प्रधानमंत्री, सांसद बनाने या किसी एक पार्टी की सरकार बनाने का प्रश्न नहीं है।’’
उन्होंने जोर देकर कहा कि चुनाव दिल्ली की जनता के ‘‘आत्म सम्मान’ के लिए हैं। कांग्रेस प्रत्याशी कुमार ने कहा, ‘‘दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जेल में डाल दिया गया। उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटने के लिए अध्यादेश लाकर दिल्ली के लोगों के अधिकार छीन लिए गए। दिल्ली की जनता को अपमानित किया गया।’’
दिल्ली कांग्रेस प्रमुख के पद से अरविंदर सिंह लवली के इस्तीफे और कुमार की उम्मीदवारी के विरोध के बारे में पूछे जाने पर कन्हैया ने कहा कि चुनाव के दौरान ऐसी चीजें होती रहती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आपने देखा कि सूरत और इंदौर में क्या हुआ। आप भाग्यशाली हैं कि आपके उम्मीदवार मजबूती से खड़े हैं और आपके पास वोट डालने का मौका है। इस पर विचार करने की जरूरत है। चुनाव के दौरान किसी पार्टी से कुछ लोगों का इस्तीफा देना या उम्मीदवार से अनबन होना कोई नयी बात नहीं है।’’
लवली ने गत सप्ताहांत पार्टी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और इसकी एक वजह आम आदमी पार्टी (आप) से गठबंधन को बताया था। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस की दिल्ली इकाई गठबंधन के खिलाफ थी, लेकिन पार्टी आलाकमान ने गठबंधन को स्वीकृति दे दी।
कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे को शनिवार को भेजे अपने इस्तीफे में लवली ने कहा था कि वह खुद को ‘‘लाचार’’ महसूस कर रहे थे, क्योंकि दिल्ली इकाई के वरिष्ठ नेताओं द्वारा सर्वसम्मति से लिये गए सभी फैसलों पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के दिल्ली प्रभारी दीपक बाबरिया ‘एकपक्षीय तरीके से’ रोक लगा देते थे।
आप विधायक दुर्गेश पाठक ने कहा कि विपक्षी उम्मीदवारों के उदाहरण उन्हें 80 के दशक की हिंदी फिल्मों की याद दिलाते हैं।उन्होंने कहा, ‘‘हम देख रहे हैं कि विपक्षी उम्मीदवारों का नामांकन रद्द कर दिया जाता है या उन्हें उठा लिया जाता है। हम 70-80 के दौर में अमिताभ बच्चन और मिथुन की फिल्मों में ऐसी चीजें देखते थे।’’