कर्नाटक के विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भूआवंटन मामले में एक विशेष अदालत द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ लोकायुक्त जांच का आदेश दिये जाने के बाद उनके (मुख्यमंत्री के) इस्तीफे की मांग करते हुए बृहस्पतिवार को प्रदर्शन किया।
विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक एवं विधान परिषद में विपक्ष के नेता चलवाड़ी नारायणस्वामी के नेतृत्व में यहां विधान सौध में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया गया जिसमें पार्टी के कई विधायकों एवं नेताओं ने हिस्सा लिया। विधान सौध में विधानमंडल एवं सचिवालय है। प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाते हुए प्रदर्शन किया। उनके हाथों में तख्तियां थीं।
दिन पहले उच्च न्यायालय ने सिद्धरमैया की पत्नी बी एम पार्वती को एमयूडीए द्वारा किये गये 14 भूखंडों के आवंटन में गड़बड़ी के आरोपों के सिलसिले में मुख्यमंत्री के खिलाफ राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा दी गई जांच की मंजूरी को कायम रखा था।
पूर्व एवं वर्तमान सांसदों/विधायकों से संबंधित आपराधिक मामलों से निपटने के लिए गठित विशेष अदालत ने मैसूरु की लोकायुक्त पुलिस को आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा की शिकायत पर जांच शुरू करने का आदेश दिया था।
प्रदर्शन के जारी रहने के बीच सिद्धरमैया ने बृहस्पतिवार को फिर कहा कि वह इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने फिर से दोहराया कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है।
अपने ऊपर लग रहे आरोपों को ‘भाजपा की साजिश’ करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।
बुधवार को विशेष अदालत के फैसले के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि वह जांच का सामना करने को तैयार हैं।
एमयूडीए भू आवंटन मामले में आरोप है कि सिद्धरमैया की पत्नी बी एम पार्वती को मैसूरु के एक पॉश इलाके में मुआवजे के तौर पर जो भूखंड आवंटित किये गये थे, उनकी कीमत एमयूडीए द्वारा अधिग्रहीत की गयी जमीन की तुलना में काफी अधिक थी।
एमयूडीए ने पार्वती की 3.16 एकड़ जमीन के बदले में उन्हें 50:50 के अनुपात से भूखंड आवंटित किये थे जहां उसने आवासीय लेआउट विकसित किये थे।
इस विवादास्पद योजना के तहत एमयूडीए ने उन लोगों को 50 प्रतिशत विकसित जमीन आवंटित की थी जिनकी अविकसित जमीन आवासीय लेआउट विकसित करने के लिए ली गयी थी।
आरोप है कि मैसूरु तालुक के कसाबा होबली के कसारे गांव के सर्वे नंबर 464 में स्थित 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी हक नहीं था।