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जनादेश ’24 / झारखंड: जाति का गणित

भाजपा का ओबीसी उम्मीदवारों पर दांव तो कांग्रेस ने सवर्ण और महिला प्रत्याशियों को दी तरजीह, झामुमो की...
जनादेश ’24 / झारखंड: जाति का गणित

भाजपा का ओबीसी उम्मीदवारों पर दांव तो कांग्रेस ने सवर्ण और महिला प्रत्याशियों को दी तरजीह, झामुमो की आदिवासी वोटों पर नजर

बड़ी आदिवासी आबादी वाले राज्‍य में पूर्व मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से झारखंड मुक्ति मोर्चा और ‘इंडिया’ गठबंधन, सहानुभूति की लहर की उम्‍मीद कर रहा है। 21 अप्रैल को राजधानी रांची में उलगुलान रैली में भारी भीड़ उमड़ी, जिसमें ‘इंडिया’ ब्‍लॉक के लगभग सभी दलों के नेता मौजूद थे। दिल्‍ली के रामलीला मैदान की रैली की ही तरह हेमंत सोरेन और दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए दो कुर्सियां खाली रखी गई थीं। हेमंत की पत्‍नी कल्‍पना सोरेन ने पूर्व मुख्‍यमंत्री की जनता के नाम चिट्ठी पढ़ी, तो केजरीवाल की पत्‍नी सुनीता केजरीवाल ने भी भावनात्‍मक भाषण दिया। रैली में बुजुर्ग शिबू सोरेन भी पहुंचे। उनके साथ तेजस्‍वी यादव, अखिलेश यादव, मल्लिकार्जुन खड़गे, फारूक अब्‍दुल्‍ला जैसे तमाम नेताओं की कोशिश आदिवासी, दलित, पिछड़ा, अल्‍पसंख्‍यक समुदायों को गोलबंद करने की थी।

सबसे दिलचस्‍प इन चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के उम्‍मीदवारों की फेहरिस्‍त है। पड़ोसी राज्‍य बिहार में अपने कोटे की 17 सीटों पर 11 सवर्ण उम्‍मीदवार उतारने वाली भाजपा ने यहां ओबीसी पर दांव लगाया है, जिनकी आबादी मोटे तौर पर 50 प्रतिशत के आसपास मानी जाती है। इसके विपरीत कांग्रेस ने सवर्णों और महिलाओं पर फोकस बढ़ा दिया है।

राज्‍य में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण के सवाल पर सरकार में रहते हुए कांग्रेस के तमाम मंत्री और बड़े नेताओं ने कई बार धरना-प्रदर्शन किया था। कांग्रेस ने पिछले चुनाव में ओबीसी के दो उम्‍मीदवार उतारे थे। इस बार भी संख्‍या दो है। पहली लिस्‍ट में एक ही प्रत्याशी था लेकिन अंतिम समय में गोड्डा प्रत्‍याशी दीपिका पांडेय सिंह के भारी विरोध के कारण उनकी जगह प्रदीप यादव को उम्‍मीदवार बनाया गया।

झारखंड में सीटों की स्थिति

दूसरी ओर ओबीसी को लेकर भाजपा की घेरेबंदी लगातार बढ़ती गई। 2014 में भाजपा ने ओबीसी के दो उम्‍मीदवार दिए थे। 2019 में यह संख्‍या तीन हो गई। 2024 में संख्‍या बढ़कर पांच हो गई है। रांची से संजय सेठ, पूर्वी सिंहभूम से विद्युत बरन महतो, कोडरमा से अन्‍नपूर्णा देवी, हजारीबाग से मनीष जायसवाल और धनबाद से ढुलू महतो पार्टी के उम्‍मीदवार हैं। इसके अलावा एनडीए की सहयोगी आजसू के गिरिडीह से मौजूदा सांसद सीपी चौधरी को जोड़ लें तो अनारक्षित आठ सीटों में एनडीए के छह उम्‍मीदवार ओबीसी से हैं। झारखंड में लोकसभा की 14 सीटों में पांच एसटी, एक एससी के लिए आरक्षित हैं। सामान्‍य सीटें 8 हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव में आदिवासी सीटों पर नाकामी के बाद से ही भाजपा का ओबीसी प्रेम जग गया। अगड़ों की बात करें तो 2014 में भाजपा ने छह और 2019 में चार उम्‍मीदवार उतारे थे। 2024 में यह संख्‍या घटकर दो पर सिमट गई।

2019 और 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने सवर्ण जाति के दो-दो उम्‍मीदवार उतारे थे। इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सवर्ण उम्मीदवारों संख्‍या बढ़ाकर तीन कर दी है। धनबाद से बेरमो से कांग्रेस विधायक जयमंगल सिंह अनूप की पत्‍नी अनुपमा सिंह, चतरा से केएन त्रिपाठी, रांची से पूर्व सांसद तथा केंद्रीय मंत्री रह चुके सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय को उतारा गया है। भाकपा-माले ने कोडरमा से अपने विधायक विनोद सिंह को उतारा है। पूर्वी सिंहभूम सीट पर टिकट फाइनल होना बाकी है। पूर्वी सिंहभूम से झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य को उतारने पर बात चल रही थी। सुप्रियो का नाम फाइनल हुआ, तो सवर्ण उम्‍मीदवारों की संख्‍या ‘इंडिया’ गठबंधन की ओर से पांच हो जाएगी जबकि एनडीए की ओर से महज दो।

14 में 13 सीटों पर लड़ने वाली भाजपा ने तीन सीटों पर महिला उम्‍मीदवार उतारा है- दुमका से सीता सोरेन, सिंहभूम से गीता कोड़ा और कोडरमा से केंद्रीय मंत्री अन्‍नपूर्णा देवी। झारखंड में कांग्रेस के हिस्‍से सात सीट आई हैं, उसमें कांग्रेस ने दो सीटों पर महिला उम्‍मीदवार उतारा है। पलामू से राजद की ममता भुइयां तो सिंहभूम से झामुमो की जोबा मांझी मैदान में हैं। इस तरह एनडीए से तीन और ‘इंडिया’ से पांच महिला प्रत्‍याशी हैं।

 

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