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मध्यप्रदेश विधानसभा: दल-बदल से चुनाव हुआ दिलचस्प, कुछ सीटों पर रिश्तेदारों के बीच मुकाबला

मध्य प्रदेश चुनाव में कुछ सीटें काफी दिलचस्प हो गई हैं वहीं, कई सीटों पर रिस्तेदारों के एक दूसरे से...
मध्यप्रदेश विधानसभा: दल-बदल से चुनाव हुआ दिलचस्प, कुछ सीटों पर रिश्तेदारों के बीच मुकाबला

मध्य प्रदेश चुनाव में कुछ सीटें काफी दिलचस्प हो गई हैं वहीं, कई सीटों पर रिस्तेदारों के एक दूसरे से भिड़ने से मुकाबला और रोचक हो गया है. मध्यप्रदेश की बदनावर विधानसभा सीट पर चुनावी मुकाबला इस बार बेहद दिलचस्प है जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के टिकट पर एक दूसरे को चुनौती दे रहे दो धुर प्रतिद्वन्द्वी तीसरी बार आमने सामने हैं, लेकिन इस बार उनकी पार्टियां बदली हुई हैं। यही वजह है कि इस सीट पर रोचक जुमला ‘‘उम्मीदवार वही, पर पार्टी नयी" सुनाई पड़ रहा है।

धार जिले की बदनावर विधानसभा सीट पर मुख्य चुनावी भिड़ंत राज्य की भाजपा सरकार के औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव (51) और कांग्रेस नेता भंवर सिंह शेखावत (72) के बीच है। दोनों नेता राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और वे लगातार तीसरी बार इस सीट पर आमने-सामने हैं। करीब 2.21 लाख मतदाताओं वाली इस सीट का चुनाव परिणाम तय करने में राजपूत समुदाय के साथ ही आदिवासी और पाटीदार समुदायों के मतदाताओं की भी अहम भूमिका रहती है।

दत्तीगांव कांग्रेस के उन 22 बागी विधायकों में शामिल थे जो वर्ष 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की सरपरस्ती में विधानसभा से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हो गए थे। इससे तत्कालीन कमलनाथ सरकार का पतन हो गया था। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा सूबे की सत्ता में लौट आई थी। शेखावत ने इस साल (2023) दो सितम्बर को भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था। अब वह बदनावर में भाजपा प्रत्याशी दत्तीगांव के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर खम ठोक रहे हैं।

वही, मध्यप्रदेश की कुछ विधानसभा सीटों पर अलग-अलग राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले एक ही परिवार के सदस्यों के बीच चुनावी लड़ाई देखने को मिल सकती है। सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस ने रिश्तेदारों को टिकट देकर सत्ता की तलाश में एक-दूसरे से मुकाबले में खड़ा कर दिया है। प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए 17 नवंबर को होने वाले चुनाव में भाई, चाचा-भतीजा, देवर-भाभी, समधि आदि निकट एवं दूर के रिश्तेदार आमने-सामने खड़े हो गए हैं।

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और नर्मदापुरम से भाजपा उम्मीदवार सीताशरण शर्मा का मुकाबला उनके भाई गिरिजाशंकर शर्मा से है, जो कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। भाजपा के पूर्व विधायक गिरिजाशंकर शर्मा ने हाल ही में अपनी पार्टी बदल दी और सत्तारूढ़ दल द्वारा टिकट देने से इनकार करने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए। सागर विधानसभा सीट पर कांग्रेस की निधि सुनील जैन का मुकाबला अपने जेठ और मौजूदा भाजपा विधायक शैलेन्द्र जैन से है। निधि जैन, शैलेंद्र जैन के छोटे भाई और देवरी से कांग्रेस के पूर्व विधायक सुनील जैन की पत्नी हैं।

इसी तरह रीवा जिले के देवतालाब में कांग्रेस ने पद्मेश गौतम को भाजपा विधायक और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के खिलाफ मैदान में उतारा है, गिरीश गौतम पद्मेश के चाचा हैं। पद्मेश गौतम ने इससे पहले पंचायत चुनाव में मौजूदा विधायक के बेटे राहुल गौतम को हराया था। एक अन्य अंतर-पारिवारिक चुनावी लड़ाई में मौजूदा भाजपा विधायक और पार्टी उम्मीदवार संजय शाह हरदा जिले के टिमरनी में अपने भतीजे कांग्रेस के अभिजीत शाह के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। अभिजीत शाह दूसरी बार अपने चाचा के खिलाफ मैदान में हैं।

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