महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नजदीक आने के मद्देनजर समर्थन जुटाने या टिकट हासिल करने के लिए विभिन्न दलों के नेताओं का मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे से मिलने का सिलसिला जारी है, जिन्हें पिछले साल तक बहुत कम लोग जानते थे।
मराठों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आरक्षण देने की मांग को लेकर पिछले साल सितंबर में आंदोलन करने के बाद जरांगे चर्चा में आए थे। तब से, वह मराठवाड़ा क्षेत्र के जालना जिले में अंतरवाली सरती गांव में कम से कम छह बार भूख हड़ताल कर चुके हैं।
विश्लेषकों के अनुसार, मराठा आरक्षण की मांग एक ऐसा मुद्दा है जिसने लोकसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन महायुति को नुकसान पहुंचाया था। यह मुद्दा मतदाताओं के बीच काफी महत्वपूर्ण है।
जरांगे ने कहा है कि सरकार को मराठा समुदाय की मांगों को पूरा करना चाहिए वरना उसे 20 नवंबर को होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में परिणाम भुगतने होंगे।
सरकार और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के खिलाफ उनकी कड़ी टिप्पणियों के बावजूद, विभिन्न दलों के कई नेताओं और चुनाव उम्मीदवारों ने हाल के दिनों में उनसे मुलाकात की है, और कई ने तो उनके आंदोलन को समर्थन भी दिया है।
एक राजनीतिक विश्लेषक के अनुसार, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का विभाजित होना आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।
जानकार ने कहा, “भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महा विकास आघाडी (एमवीए) में तीन-तीन प्रमुख दल शामिल हैं, इसलिए अगर किसी क्षेत्र से मौजूदा विधायक गठबंधन की किसी एक पार्टी का है तो गठबंधन के दूसरे दलों के इच्छुक व्यक्ति के टिकट पाने की संभावना कम हो जाती है। इस स्थिति में पार्टी में विद्रोह का जोखिम बढ़ जाता है।”
राजनीतिक विश्लेषक अभय देशपांडे ने कहा कि चुनाव में खतरा महसूस करने वाले उम्मीदवार मराठवाड़ा क्षेत्र में जरांगे जैसे प्रभावशाली नेताओं से मिलकर अपने मतदाताओं की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अगर बगावत की संभावना अधिक है, तो इससे वोटों का विभाजन हो सकता है और जीत का अंतर कम हो सकता है।
देशपांडे ने कहा, “ऐसी स्थिति में सभी छोटी-छोटी चीजों पर गौर करना जरूरी हो जाता है। जरांगे के साथ विधायकों और इच्छुक उम्मीदवारों की बैठकों को ऐसे ही एक प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।”
साल 2019 के संसदीय चुनावों में, भाजपा ने मराठवाड़ा क्षेत्र की सभी लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी। लेकिन इस साल हुए लोकसभा चुनाव में, जरांगे के नेतृत्व में हुए आंदोलन के बाद मराठवाड़ा क्षेत्र में वोटों का महत्वपूर्ण विभाजन देखा गया। वोटों के इस विभाजन को बीड से भाजपा की ओबीसी नेता पंकजा मुंडे की मामूली हार का एक कारण माना जाता है।
गौरतलब है कि भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष रमेश पोकले ने विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए अगस्त में जरांगे से मुलाकात की थी।
महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री और मुख्यमंत्री व शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के करीबी माने जाने वाले उदय सामंत ने भी हाल ही में अंतरवाली सरती में जरांगे से मुलाकात की थी।
अगले दिन जरांगे ने राज्य सरकार से मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए ठोस कदम उठाने को कहा था।
एआईएमआईएम के नेता इम्तियाज जलील ने मंगलवार को जरांगे से मुलाकात की और मराठा व मुसलमानों के हित के लिए उनके साथ गठबंधन करने का संकेत दिया।
जरांगे ने जलील की मौजूदगी में पत्रकारों से कहा, "अगर लोगों का कल्याण जुड़ा है, तो कुछ भी हो सकता है। सही समय पर महत्वपूर्ण निर्णय लेंगे।"
पिछले महीने, महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के नेता अब्दुल सत्तार ने भी जरांगे से मुलाकात की थी।
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण और पार्टी के विधायक धीरज देशमुख ने भी जरांगे से अलग-अलग मुलाकात की है।