कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी को 2019 में उनके ही गढ़ अमेठी में पराजित कर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आयीं स्मृति ईरानी इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के किशोरीलाल शर्मा से हार गयीं, जो इस सीट पर गांधी के चुनाव प्रबंधक की भूमिका निभाया करते थे।
किशोरीलाल शर्मा ने ईरानी को अमेठी लोकसभा सीट से एक लाख 67 हजार से अधिक मतों के अंतर से पराजित किया है।
कांग्रेस द्वारा शर्मा को उम्मीदवार बनाए जाने पर रायबरेली सीट से भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह ने उन्हें गांधी परिवार का ‘चपरासी’ और प्रियंका गांधी का ‘क्लर्क’ बताया था। उन्हीं के हाथों केंद्रीय मंत्री व तेज तर्रार महिला नेत्री स्मृति ईरानी को अमेठी में मुंह की खानी पड़ी है।
इसके साथ ही शर्मा, उत्तर प्रदेश की इस हाई प्रोफाइल सीट पर जीत दर्ज करने वाले कैप्टन सतीश शर्मा और संजय सिंह के बाद गांधी परिवार से इतर तीसरे नेता बन गए हैं। इस चुनाव में 25 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ जब गांधी परिवार का कोई भी सदस्य लोकसभा चुनाव में इस सीट से चुनाव मैदान में नहीं था।
राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने और उनकी बहन प्रियंका गांधी के चुनाव ना लड़ने के फैसले के बाद पार्टी ने किशोरी लाल शर्मा को अमेठी से उम्मीदवार बनाकर सभी को चौंका दिया था। शर्मा, गांधी परिवार के बेहद करीबी रहे हैं। बताया जाता है कि वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के करीबी दोस्त थे और लंबे समय तक उनके साथ जुड़े रहे। वह कई दशकों से अमेठी और रायबरेली सीटों पर कांग्रेस का चुनाव प्रबंधन भी देखते रहे हैं।
राजीव गांधी की मृत्यु के बाद शर्मा ने 1999 में सोनिया गांधी के पहले चुनाव अभियान में भी काफी सक्रियता से काम किया था और कहा जाता है कि अमेठी में कांग्रेस की जीत में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
‘गांधी परिवार’ के गढ़ कहे जाने वाले अमेठी में ईरानी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को पराजित कर काफी सुर्खियां बटोरी थीं।
छोटे पर्दे की हर दिल अजीज बहू ‘तुलसी’ का लोकप्रिय किरदार निभाने वाली ईरानी ने इससे पहले, 2014 के चुनाव में राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी में खम ठोंका था लेकिन वह एक लाख से अधिक मतों से हार गई थीं। चुनाव हारने के बावजूद उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनी पहली सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री बनाया गया। बाद में वह सूचना प्रसारण और फिर कपड़ा मंत्री भी रहीं। ईरानी को उनकी शैक्षणिक योग्यता को लेकर या बतौर मंत्री कई विवादों का सामना करना पड़ा।
अपने नामांकन पत्र में उन्होंने कहा था कि वह स्नातक नहीं हैं। वहीं 2014 चुनाव में उन्होंने कहा था कि वह 1994 में दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं जिससे उनके दावे की विश्वसनीयता को लेकर विवाद पैदा हो गया था। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि वह स्नातक नहीं हैं।
सूचना प्रसारण मंत्री रहते भी वह कभी प्रसार भारती बोर्ड से मतभेद तो कभी ‘फेक न्यूज’ को लेकर अधिसूचना जारी करने को लेकर विवादों के घेरे में रहीं जो बाद में पीएमओ के दखल के बाद वापस ली गई।
अमेठी में चुनाव अभियान के दौरान अक्सर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा से उनका वाकयुद्ध भी हुआ जिन्होंने उन्हें ‘बाहरी’ करार दिया था।
चुनावी राजनीति में उनका पदार्पण 2004 में हुआ जब दिल्ली के चांदनी चौक इलाके से वह कांग्रेस के कपिल सिब्बल से हार गई थीं। वह दो बार गुजरात से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुईं किंतु 2019 में अमेठी लोकसभा सीट जीतने के बाद उन्होंने उच्च सदन से त्यागपत्र दे दिया।
वर्ष 1976 में 23 मार्च को जन्मी स्मृति भारतीय जनता पार्टी की महिला मोर्चा की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।