लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन की बदौलत विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत राजग के समक्ष एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा था, लेकिन उसके घटक दलों की आपसी कलह तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पहले महाराष्ट्र और हरियाणा और अब दिल्ली के विधानसभा चुनाव में जीत ने इस विपक्षी गठबंधन की चमक को फीका कर दिया है।
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए ‘इंडिया’ गठबंधन में कई ऐसे दल साथ आए थे, जो राज्यों में एक दूसरे के विरोधी हैं।
ये दल भले ही भाजपा को केंद्र की सत्ता में आने से रोकने में कामयाब नहीं हुए, लेकिन एक दशक बाद भाजपा को अपने दम पर बहुमत हासिल करने से रोकना भी उनके लिए उपलब्धि थी।
‘इंडिया’ गठबंधन के बनते समय इसके घटक दलों ने बार-बार इस बात पर जोर दिया था कि गठबंधन राष्ट्रीय चुनाव के लिए है और बाद में यह राज्य के आधार पर होगा। हालांकि, इस गठबंधन ने यह कल्पना नहीं की थी कि राज्यों में उनकी राजनीतिक लड़ाई इस हद तक जा सकती है कि गठबंधन में दरारें पड़ जाएं।
इस गठबंधन के घटक दलों के आपसी टकराव की सबसे जीवंत मिसाल दिल्ली का विधानसभा चुनाव है, जहां कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ आक्रामक चुनाव अभियान चलाया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने ‘‘शराब घोटाले के सूत्रधार’’ और ‘‘शीश महल’’ जैसे कटाक्ष के साथ आप और उसके संयोजक अरविंद केजरीवाल पर हमले किए।
समाजवादी पार्टी (एसपी) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) जैसी ‘इंडिया’ गठबंधन की पार्टियों ने दिल्ली में इस आधार पर आप का समर्थन किया था कि भाजपा का मुकाबला करने के लिए केजरीवाल की पार्टी की मजबूत स्थिति में है।
अब कुछ महीने बाद बिहार में विधानसभा चुनाव होना है, जहां यह गठबंधन फिलहाल बरकरार नजर आ रहा है, लेकिन आने वाले वर्षों में पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के चुनावों में इस गठबंधन का इम्तिहान होगा।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्षी गठबंधन के घटक दलों पर तीखी टिप्पणी की। अब्दुल्ला ने ‘एक्स’ पर एक मीम के साथ पोस्ट किया, ‘‘और लड़ो आपस में।’’