सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने भाषा को बताया कि अखिलेश और मुलायम ने जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट परिसर में सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और होली की शुभकामनाएं दी। इस दौरान अखिलेश ने कार्यकर्ताओं से कहा कि सपा एक पार्टी होने के साथ-साथ एक विचारधारा भी है और उसके लिए लगातार संघर्ष जारी रहेगा। पार्टी कार्यकर्ता जनता के बीच जाकर दल को नए सिरे से खड़ा करें। संगठन को और चुस्त-दुरुस्त किया जाएगा।
चौधरी के मुताबिक अखिलेश ने कहा कि वह विधानसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन की समीक्षा करेंगे। इसके अलावा वह प्रदेश की नई सरकार के एजेंडे और इरादों को देखते हुए अगली रणनीति बनाएंगे। उन्होंने बताया कि अखिलेश अगले हफ्ते पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों तथा प्रदेश के सभी पार्टी प्रत्याशियों की बैठक बुलाएंगे। हालांकि बैठक के बाद बाहर निकले मुलायम और अखिलेश ने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया।
चौधरी ने कहा कि चुनाव में पार्टी की हार के कई कारण हैं। मुख्य कारण भाजपा नेताओं और मंत्रियों का जनता को बरगलाना रहा। मुद्दाविहीन होने के बावजूद वे जनता को बरगलाने में कामयाब रहे। चौधरी ने कहा कि वर्ष 1991 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में हुए विधानसभा चुनाव में भी उनकी पार्टी (तब जनता दल) की बुरी हार हुई थी और उसके मात्र 34 विधायक ही चुने गए थे। बाद में मुलायम की अगुवाई में गठित सपा ने वापसी करते हुए तीन बार सरकार बनायी। सपा एक बार फिर उसी तरह वापसी करेगी।
मालूम हो कि वर्ष 2012 में हुए प्रदेश विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई सपा को इस बार विधानसभा चुनाव में मात्रा 47 सीटें ही हासिल हुईं। नवंबर 1992 में वजूद में आई सपा का यह अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है।
शनिवार को एक बिजनेस अखबार से बात करते हुए मुलायम सिंह यादव ने इतनी करारी हार के लिए सपा-कांग्रेस गठबंधन के अहंकार को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि वे शुरू से इस गठबंधन के खिलाफ थे। मुलायम ने यह भी कहा था कि उनके करीबियों में से सिर्फ उनकी छोटी बहू अपर्णा यादव की हार हुई बाकी सब लोग चुनाव जीत गए।