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झामुमो-शिवसेना तीर-कमान तो सपा-पैंथर्स पार्टी साइकिल पर

बिहार चुनाव में समाजवादी पार्टी और पैंथर्स पार्टी दुविधा में पड़ गई हैं जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा और शिवसेना की मुश्किल भी चुनाव चिह्न को लेकर ही है। दरअसल, चुनाव आयोग ने सपा और पैंथर्स पार्टी को साइकिल पर ही चुनाव लड़ने की अनुमति दी है जबकि झामुमो और शिवसेना तीर-कमान लेकर एक-दूसरे के आमने-सामने टकरा रही है।
झामुमो-शिवसेना तीर-कमान तो सपा-पैंथर्स पार्टी साइकिल पर

उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और महाराष्ट्र की चार मान्यता प्राप्त पार्टियों को चुनाव आयोग ने बिहार चुनाव के लिए अपने-अपने आरक्षित चुनाव चिह्न पर ही लड़ने की अनुमति दे दी है। झामुमो और शिवसेना ने बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर अपने-अपने आरक्षित चुनाव चिह्न से चुनाव लड़ने की अनुमति चुनाव आयोग से मांगी थी। इसी तरह सपा और पैंथर्स पार्टी ने दूसरे चरण के चुनाव की सभी 32 सीटों पर अपने-अपने चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ने की इजाजत मांगी है।

फिलहाल छह पार्टियां- भाजपा, बसपा, कांग्रेस, भाकपा, माकपा और राकांपा- ही राष्ट्रीय पार्टियों के रूप में मान्यता प्राप्त हैं। इसके अलावा कुल 50 मान्यता प्राप्त प्रादेशिक पार्टियां हैं। राष्ट्रीय पार्टियां अपने-अपने आरक्षित चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र हैं जबकि प्रादेशिक मान्यता प्राप्त पार्टियां अपने राज्य में ही आरक्षित चुनाव चिह्नों का इस्तेमाल कर सकती हैं। अपने राज्य से बाहर उन्हें चुनाव आयोग से अनुमति लेने की जरूरत पड़ती है।

पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को अपनी मर्जी से चुनाव चिह्न इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं होता। उन्हें चुनाव आयोग द्वारा जारी स्वतंत्र चिह्नों की सूची से ही चुनाव चिह्न चुनने होते हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 12, 16,28 अक्टूबर और एक एवं पांच नवंबर को पांच चरणों में हो रहे हैं। वोटों की गिनती 8 नवंबर को होगी।

 

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