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बिहार चुनाव: महागठबंधन की आंधी में कई दिग्गज धराशायी

महागठबंधन की इस आंधी में बिहार की राजनीति के कई बड़े और चर्चित चेहरों को हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा, लोजपा और हम के साथ साथ एमआईएम के कई बड़े नेता हार गए हैं।
बिहार चुनाव: महागठबंधन की आंधी में कई दिग्गज धराशायी

बिहार विधानसभा चुनाव में हारने वाले नेताओं में दो नाम पिछले दिनों खासा चर्चित रहे हैं। पहला नाम नितीश से बगावत कर अलग पार्टी बनाने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतराम मांझी का है। मांझी को अपनी पुरानी सीट जहानाबाद के मखदुमपुर से हार का सामना करना पड़ा है। उन्‍हें आरजेडी के उम्‍मीदवार ने करीब 26 हजार वोटों से हरा दिया। हालांकि मांझी ने गया के इमामगंज सीट से जीत दर्ज कर ली है। उन्होंने वहां से जदयू के उदय नारायण चौधरी को हराया। हार का मुहं देखने वाले लोगों में एक बड़ा नाम भाजपा के राजेंद्र सिंह का है जो रोहतास के दिनारा सीट से चुनाव हार गए हैं। ये वही राजेंद्र सिंह हैं जिनका नाम भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर चर्चा में आया था। भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेणु देवी को भी हार का सामना करना पड़ा है। इनके अलावा भाजपा के पूर्व अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह औरंगाबाद जिले की नबीनगर सीट से चुनाव हार गए हैं। चुनाव हारने वाले भाजपा के अन्य दिग्गजों में रामेश्वर चौरसिया, विशेश्वर ओझा, विनोद कुमार झा के अलावा औरंगाबाद शहर से रामाधार सिंह का नाम भी शामिल है। रामाधार सिंह भाजपा जदयू सरकार में मंत्री सालों मंत्री रहे थे। उन्हें वहां से कांग्रेस के आनंद शंकर सिंह ने हराया है।

जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा से खड़े हुए नीतीश मिश्रा भी अपना चुनाव हार गए हैं। मिश्रा नीतीश सरकार में मंत्री थे और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के बेटे हैं। इनके अलावा हम से चुनाव लड़ रही पूर्व सांसद लवली आनंद और शकुनी चौधरी भी अपनी-अपनी सीट से हार गए हैं। नीतीश सरकार में मंत्री रहे और बाद में मांझी की पार्टी में शामिल हुए शाहिद अली खान भी अपनी सीट सुरसंड से चुनाव हार गए। राजग की बात करें तो भाजपा के सहयोगी रामविलास पासवान की पार्टी के भी कई बड़े नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है। लोजपा से चुनाव लड़ रहे पूर्व सांसद काली पांडे के अलावा रामविलास के भाई पशुपति कुमार पारस भी अलौली से चुनाव हार गए हैं।

सीमांचल में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहे असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम को भी चुनाव परिणाम से बड़ा झटका लगा है। एमआईएम से चुनाव लड़ रहे पार्टी के बिहार में सबसे बड़े चेहरे अख्तरुल ईमान को करारी हार का सामना करना पड़ा। एमआईएमं कोई भी सीट जितने में नाकाम रही है। महागठबंधन की जोरदार आंधी के बावजुद जदयू के उदय नारायण चौधरी को गया की इमामगंज सीट से हार का सामना करना पड़ा। गौरतलब है कि चौधरी वर्तमान विधानसभा के अध्यक्ष भी हैं। चौधरी के अलावा जदयू के एक और बड़े नेता विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला को अपनी सीट लालगंज से हार का सामना करना पड़ा है। शुक्ला को लोजपा के राजकुमार साह से शिकस्त खानी पड़ी। जदयू के बागी और बाहुबली अनंत सिंह ने जेल से ही निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए मोकामा की अपनी पुरानी सीट बचा ली है। अनंत सिंह हाल ही में तब चर्चा में आए थे जब जदयू के विधायक रहते हुए एक आपराधिक मामले में उन्‍हें गिरफ्तार किया गया था। अपनी गिरफ्तारी से नाराज अनंत सिंह ने जदयू से इस्तीफा दे दिया था। 

महागठबंधन की इस आंधी में भी बिहार के वाम दल अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब हुए हैं। इस चुनाव में वाम दलों की ओर से भाकपा माले ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की है। ये सीटें हैं, बलरामपुर, दरौली और तरारी। राज्य के वाम दलों ने किसी भी गठबंधन में शामिल न होते हुए 6 वाम दलों का गठबंधन बनाकर यह चुनाव लड़ा था। हालांकि भाकपा, माकपा जैसे बड़े वाम दलों को कोई सफलता नहीं मिल पाई।  

 

 

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