कर्नाटक विधानसभा में बहुमत साबित करने में नाकाम रहे बीएस येदियुरप्पा ने फ्लाोर टेस्ट के तय समय से पहले ही इस्तीफा दे दिया है। लंच के बाद जब दोबारा कर्नाटक विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने विधानसभा को संबोधित किया। उन्होंने एक भावुक भाषण दिया।
उन्होंने कहा, 'मैं बीते 2 सालों से पूरे राज्य में घूम रहा हूं और इस दौरान मेंने लोगों का दर्द उनके चेहरों पर महसूस किया। मैं लोगों का प्यार और स्नेह भूल नहीं सकता। कर्नाटक की जनता ने हमें 104 सीटें सौंपी हैं। जनता का जनादेश कांग्रेस और जेडीएस के लिए नहीं था।'
येदियुरप्पा ने कहा, 'अगर लोगों ने हमें 104 की बजाए 113 सीटें दी होतीं तो राज्य को स्वर्ग बना देते। अंतिम सांस तक किसानों के लिये लड़ता रहूंगा। लोकसभा चुनाव में हम 28 में से 28 सीटें जीतेंगे।'
पहली बार नहीं हुआ है ऐसा
येदियुरप्पा ने 17 मई को सीएम पद की शपथ ले ली थी लेकिन ढाई दिनों में ही वह बहुमत साबित नहीं कर सके। पहली बार जब येदियुरप्पा सीएम बने थे मात्र 7 दिन ही इस पद पर रह पाए थे। इसके बाद दोबारा यह पद ग्रहण करने पर करीब तीन साल तक वह सीएम रहे, लेकिन इस बार परिस्थितियां अलग हैं। इनके अलावा दूसरे नेता भी रहे, जो कुछ घंटों के लिए या कुछ दिनों के लिए मुख्यमंत्री रहे-
जगदंबिका पाल
इससे पहले उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार बर्खास्त होने के बाद जगदंबिका पाल एक दिन के लिए सीएम रहे थे।
उस दौरान जगदम्बिका पाल कांग्रेस में थे। 21-22 फरवरी 1998 की रात यूपी के गवर्नर रोमेश भंडारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की लेकिन केंद्र ने इसे ठुकरा दिया। बीजेपी के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने अन्य दलों के विधायकों के साथ 93 सदस्यीय मंत्रिमंडल बनाया था लेकिन अन्य राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया और सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया। भंडारी ने बाहरी लोगों को कैबिनेट में शामिल करने पर ऐतराज जताया था और सरकार को बर्खास्त करने का फैसला किया। इसके बाद उन्होंने जगदम्बिका पाल को सरकार बनाने का न्योता दिया लेकिन उनकी सरकार एक दिन भी नहीं टिक पाई। पाल ने सीएम पद छोड़ने का फैसला किया और कल्याण सिंह को फिर मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार कर लिया।
सात दिनों के लिए नीतीश बने थे सीएम
बिहार के वर्तमान मुख्ममंत्री नीतीश कुमार पहली बार सात दिनों के लिए सीएम रहे थे। वह 03 मार्च 2000 से 10 मार्च 2000 तक मुख्यमंत्री रहे लेकिन पर्याप्त बहुमत न होने की वजह से इस्तीफा दे दिया था।
गौरतलब है कि कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा की 222 सीट पर चुनाव कराया गया था।. चुनाव परिणाम परिण्ााम आने पर भाजपा 104 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन बहुमत के लिए जरूरी 111 की संख्या से वह पीछे रह गई थी.
कांग्रेस को यहां 78 सीटों पर जीत मिली जबकि जेडीएस को 37 सीटों पर जीत मिली. परिणाम आने के साथ ही कांग्रेस और जेडीएस ने गठबंधन बना लिया था और 117 सीटें होने का दावा किया था. इन विधायकों में बसपा और केपीजेपी के एक-एक विधायक हैं तथा एक निर्दलीय विधायक भी इसमें शामिल हैं।