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धूमल पहले नहीं, जब पार्टी जीती पर चेहरे हारे

हिमाचल प्रदेश में भाजपा ने पांच साल बाद कांग्रेस से सत्ता छीन ली है. राज्य की 60 फीसदी से ज्यादा सीटें...
धूमल पहले नहीं, जब पार्टी जीती पर चेहरे हारे

हिमाचल प्रदेश में भाजपा ने पांच साल बाद कांग्रेस से सत्ता छीन ली है. राज्य की 60 फीसदी से ज्यादा सीटें पार्टी के खाते में गई है। राज्य की 68 सीटों में से 43 पर भाजपा जीत दर्ज करती  दिख रही है। पर मुख्यमंत्री पद का चेहरा रहे प्रेम कुमार धूमल की हार ने भाजपा के लिए जीत का मजा किरकिरा कर दिया है। धूमल को हमीरपुर जिले की सुजानपुर सीट पर अपने राजनीतिक शिष्य और कांग्रेस उम्मीदवार राजिंदर सिंह राणा से मात खानी पड़ी है।

यह पहला मौका नहीं है जब किसी राज्य में कोई पार्टी सत्ता हासिल करने में कामयाब रही हो लेकिन मुख्यमंत्री पद के चेहरे या सबसे सशक्त दावेदार को हार का सामना करना पड़ा। 2014 में ऐसा ही झारखंड में हुआ था। तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे अर्जुन मुंडा भाजपा की तरफ से सीएम पद के सबसे सशक्त दावेदार थे। भाजपा वहां सरकार बनाने में कामयाब हो गई पर मुंडा खुद चुनाव हार गए।

इसी साल गोवा में भाजपा ने लक्ष्मीकांत पारसेकर को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर चुनाव लड़ा था। पारसेरकर मांद्रे सीट पर सात हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से कांग्रेस उम्मीदवार दयानंद सोप्ते से हार गए थे। बाद में मनोहर पर्रीकर के नेतृत्व में भाजपा ने यहां सरकार बनाई।

ऐसा नहीं है कि इस तरह की स्थिति का सामना केवल भाजपा को ही करना पड़ा है। 2008 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ भी ऐसा हुआ था। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी सीएम पद के उम्मीदवार थे। कांग्रेस की तो सत्ता में वापसी हुई पर जोशी खुद एक वोट से चुनाव हार गए।

 

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