कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल ने प्रज्ञा ठाकुर के ‘देशभक्त गोडसे बयान’ पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर हैरानी जताई है। सिब्बल ने पूछा है कि भाजपा नेता और भोपाल से सांसद का चुनाव लड़ रही प्रज्ञा के बयान पर प्रधानमंत्री ने अभी तक कुछ कहा क्यों नहीं है।
मालेगांव की आरोपी प्रज्ञा ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को ‘देशभक्त’ कहने पर विपक्ष ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया था। इसके बाद प्रज्ञा ने यू-टर्न लेते हुए तुरंत माफी मांग ली थी और कहा था कि गांधी के काम को भुलाया नहीं जा सकता। प्रज्ञा ने एक बार फिर मीडिया पर तोड़-मरोड़ बयान पेश करने का आरोप लगाया और कहा कि गांधी ने देश के लिए जो किया वह अविस्मरणीय है और मैं उनका बहुत सम्मान करती हूं।
हालांकि बाद में प्रज्ञा ने अपने ही बयान से किनारा कर लिया और बताया कि रोड शो के दौरन उसने हिंदू आतंकवाद के नाम पर कुछ तीखे सवाल किए गए जिसके जवाब में उन्होंने ऐसा कहा। ये उनके निजी विचार हैं और वह पार्टी लाइन के साथ ही हैं।
कपिल सिब्बल ने ट्विट कर पूछा है, ‘जब साध्वी प्रज्ञा गोडसे को देशभक्त कहती हैं, मोदी चुप रहते हैं, जब ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़ी जाती है, तो मोदी चुप रहते हैं। ऐसे में मैं सिर्फ देश के लिए प्रार्थना ही कर सकता हूं।
कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने भी सिब्बल के सुर में सुर मिलाते हुए कहा है कि गोडसे आरएसएस की विचारधारा से प्रभावित था। सिद्धरमैया का कहना है कि गोडसे संघ विचारधारा का था इसलिए प्रज्ञा भी हैं। पहले इन लोगों ने महात्मा गांधी को मारा और अब उनके विचारों को मार रहे हैं। और प्रधानमंत्री ने इस बयान का समर्थन किया है इससे साबित होता है कि यह संघ की घृणित विचारधारा को आगे बढ़ाने का संकेत है।
‘देशभक्त गोडसे’ विवाद थमता उससे पहले ही कर्नाटक के सांदद और बीजेपी नेता नलिन कुमार कतील ने गोडसे की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से कर दी है। कतील ने अपने ट्विट में लिखा, गोडसे ने एक को मारा, कसाब ने 72 लोगों को और राजीव गांधी ने 17,000 लोगों को। आप ही तय कीजि कि कौन ज्यादा क्रूर है।