गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर एबीपी न्यूज के लिए हुआ लोकनीति, सीएसडीएस का चुनाव पूर्व सर्वेक्षण बदली तस्वीर पेश कर रहा है। नवंबर के आखिरी हफ्ते में 50 विधानसभा सीटों पर 3655 मतदाताओं के बीच किए गए तीसरे चरण के सर्वे में भाजपा और कांग्रेस दोनों को 43-43 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं। बराबर वोट प्रतिशत के बावजूद भाजपा को 91 से 99 सीटें, तो कांग्रेस को 78 से 86 सीटें और अन्य को 3 से 7 सीटें मिल सकती हैं।
जाहिर है गुजरात में भाजपा के खिलाफ हवा तेजी से बदली है। कांग्रेस पकड़ बनाती जा रही है। अगस्त में हुए सर्वे के पहले चरण में भाजपा को 30 फीसदी की बढ़त हासिल थी, जो नवंबर के आखिर तक गायब हो चुकी है। फिलहाल कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के गढ़ में भाजपा को कांग्रेस कांटे की टक्कर दे जाए, यह अपने आप में अप्रत्याशित है। हालांकि, यह सर्वे केवल कुछ हजार लोगों के फीडबैक पर आधारित है और जरूरी नहीं कि सर्वे के नतीजे चुनाव परिणामों से मेल खा ही जाएं। लेकिन सीएसडीएस के अनुभव और खास तकनीक को देखते हुए, ये नतीजें काबिलेगौर हैं।
कैसे बदली हवा
सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक महीने में कांग्रेस ने दक्षिण और मध्य गुजरात में शानदार वापसी की है। इन क्षेत्रों में पहले भाजपा भारी बढ़त बनाए हुए थी। कांग्रेस के लिहाज से सबसे ज्यादा सुधार दक्षिण गुजरात में दिखा है, जहां भाजपा के मुकाबले उसे 2 फीसदी की बढ़त है। मध्य गुजरात में कांग्रेस और भाजपा लगभग बराबरी पर हैं। जबकि उत्तर गुजरात में कांग्रेस अपनी पकड़ बनाए हुए है। सौराष्ट्र और कच्छ में भाजपा के मुकाबले कांग्रेस की लोकप्रियता में कमी आई है। लेकिन सौराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस का दबदबा कायम है। शहरी सौराष्ट्र में भाजपा की बढ़त दिख रही है।
शहरी और ग्रामीण मतदाताओं के रुझान में यह अंतर सिर्फ सौराष्ट्र तक सीमित नहीं है। गुजरात के अन्य इलाकों में भी ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस की लोकप्रियता को किसानों के असंतोष से जोड़कर देखा जा सकता है। सर्वे के अनुसार, आधे से ज्यादा किसान कांग्रेस को वोट देने जा रहे हैं।
व्यापारी वर्ग का बदला रुझान
किसानों के अलावा जीएसटी से नाराज व्यापारियों का रुझान भी कांग्रेस की स्थिति मजबूत कर रहा है। अक्टूबर में हुए सर्वे में व्यापारी वर्ग में भाजपा को 4 फीसदी की बढ़त हासिल थी, जबकि नवंबर के आखिर में हुए सर्वे में यह बढ़त भाजपा के पाले से खिसक कर कांग्रेस के खाते में चली गई है। ताजा सर्वे में 43 फीसदी व्यापारी कांग्रेस के साथ हैं, जबकि भाजपा के पक्ष में 40 फीसदी।
महिलाओं में कांग्रेस की पैठ
पिछले कुछ हफ्तों में कांग्रेस की लोकप्रियता बढ़ने के पीछे एक कारण महिलाओं से मिल रहा समर्थन भी है। सर्वे के अनुसार, एक महीना पहले 50 फीसदी महिलाएं भाजपा और 39 फीसदी कांग्रेस के साथ थीं। भाजपा को हासिल यह 11 फीसदी की बढ़त घटकर महज 2 फीसदी रह गई है। इसके बदलाव के पीछे महंगाई को वजह माना जा सकता है। बेरोजगारी और गरीबी भी बड़े मुद्दे हैं।
आर्थिक बदहाली
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी जैसे आर्थिक मुद्दे विकास के पर भारी पड़ रहे हैं। लोगों की आर्थिक बदहाली कांग्रेस के उभार के पीछे एक बड़ी वजह है। जब लोगों से उनकी आर्थिक स्थिति के बारे में पूछा गया तो 56 फीसदी मतदाताओं ने कहा कि उनके परिवार की कुल आय जरूरतों को पूरा करने में नाकाफी है।
पटेल, ठाकोर, दलित समर्थन
पाटीदार/पटेल समुदाय के कांग्रेस को समर्थन के पीछे हार्दिक पटेल के अलावा आर्थिक मुद्दों पर उनका असंतोष भी प्रमुख वजह है। पीछे दो सर्वे में आदिवासी समुदाय का रुझान भाजपा की ओर बढ़ता दिखा था, लेकिन अब वह वापस कांग्रेस की तरफ है। इसे छोटू वसावा की भारतीय ट्राइबल पार्टी के कांग्रेस के साथ तालमेल से समझा जा सकता है। ताजा सर्वे के मुताबिक, अधिकांश क्षत्रिय, ठाकोर, दलित और मुस्लिम कांग्रेस के साथ हैं। हालांकि, पिछले एक महीने में कोली कांग्रेस से छिटककर भाजपा की तरफ गए हैं।
मोदी और राहुल गांधी के बीच अंतर घटा
बेशक, गुजरात में अब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही सबसे लोकप्रिय नेता हैं, लेकिन उनकी लोकप्रियता को झटका लगा है। अक्टूबर के आखिर में सर्वे में शामिल 67 फीसदी मतदाताओं ने उन्हें पसंद किया जबकि नवंबर के आखिर में यह आंकड़ा घटकर 64 फीसदी रहा। इस बीच कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की लोकप्रियता 51 फीसदी से बढ़कर 57 फीसदी तक पहुंच गई है। पीएम मोदी ही नहीं उनकी सरकार की लोकप्रियता में भी गिरावट देखी गई है। अगस्त के शुरू में 67 फीसदी लोगों ने मोदी सरकार के कामकाज पर संतोष जाहिर किया था, लेकिन ताजा सर्वे में 47 फीसदी लोग ही मोदी सरकार के काम से ख्ाुश्ा हैं। इसी तरह विजय रूपाणी की गुजरात सरकार की लोकप्रियता में भी कमी आई है।
नहीं आए अच्छे दिन
लोकनीति, सीएसडीएस के सर्वे के अनुसार, भाजपा के लिए चिंता की बात होनी चाहिए कि हर 5 में से 3 मतदाता मानते हैं कि मोदी सरकार अच्छे दिन लाने में नाकाम रही है। अक्टूबर में हर दो में से एक मतदाता ऐसा मानता था। गुजरात के विकास को लेकर भी लोगों की राय काफी बंटी हुई है। सर्वे में 36 फीसदी लोगों ने माना कि गुजरात में विकास का लाभ केवल अमीरों को पहुंचा जबकि 20 फीसदी लोगों का मानना है कि राज्य में कोई विकास नहीं हुआ। केवल 26 फीसदी लोग मानते हैं कि गुजरात में सबका विकास हुआ है।