दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थगित बैठक की नई तारीख आ गई है। यह बैठक छह फरवरी को होगी। दिल्ली के एलजी विनय सक्सेना ने मेयर चुनाव की नई तारीख को मंजूरी दे दी है। अब दिल्ली के मेयर और उपमहापौर सहित छह सदस्यीय स्थायी समिति के लिए छह फरवरी को चुनाव होगा। इससे पहले दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने एलजी विनय सक्सेना को मेयर चुनाव की नई तारीख का प्रस्ताव भेजा था।
दिल्ली सरकार ने 3, 4 या 6 फरवरी को मेयर चुनाव करवाने का प्रस्ताव भेजा था। हालांकि, एसमीडी ने दिल्ली सरकार को 10 फरवरी को चुनाव करवाने का प्रस्ताव भेजा था। इसके बाद अब एलजी ने एमसीडी मेयर चुनाव की तारीख 6 फरवरी तय की है।
एमसीडी के मेयर के चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बीजेपी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, "दिल्ली के लोग एमसीडी के शासन में बीजेपी से दुखी थे। अरविंद केजरीवाल की गारंटी पर भरोसा करके दिल्ली के लोगों ने एमसीडी में सरकार बनाने के लिए ‘आप’ को वोट दिया। दिल्ली के लोगों ने 15 साल के शासन के बाद बीजेपी को हराया है, अब बीजेपी साजिश करके मेयर के चुनाव को रोक रही है।"
सिसोदिया ने आगे कहा, 'उम्मीद है कि भारतीय जनता पार्टी लोकतंत्र का सम्मान करते हुए 6 फरवरी को मेयर का चुनाव होने देगी। बीजेपी अब आम आदमी पार्टी का मेयर बनने देगी। आम आदमी पार्टी का मेयर काम करेगा, तो तुरंत सारे काम हो जायेंगे।"
मेयर के लिए आप आदमी पार्टी ने शैली ओबेरॉय को मैदान में उतारा है, जबकि बीजेपी की ओर से रेखा गुप्ता मैदान में हैं। वहीं, डिप्टी मेयर के लिए आप ने मोहम्मद इकबाल और बीजेपी ने कमल बागड़ी को उम्मीदवार बनाया है।
गौरतलब है कि दिल्ली नगर निगम के नवनिर्वाचित सदन की पहली बैठक 6 जनवरी को हुई थी। इस दौरान आम आदमी पार्टी और बीजेपी पार्षदों के बीच हुई झड़प के कारण मेयर, डिप्टी मेयर और छह स्थाई समिति के सदस्यों का चुनाव नहीं हो सकता था और सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी। इसके बाद 24 जनवरी को फिर से बैठक हुई और हंगामे के कारण एक बार फिर मेयर का चुनाव नहीं हो पाया था। मेयर चुनाव में 250 पार्षदों के अलावा, दिल्ली के 14 विधायक और 10 सांसद वोट करेंगे।
बता दें कि दिल्ली नगर निगम के लिए पिछले साल 4 दिसंबर को चुनाव हुए थे और नतीजे 7 दिसंबर को घोषित किए गए थे। दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी ने 134 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी 104 वार्ड जीतने में सफल रही थी। इसके बाद बीजेपी 15 सालों के बाद एमसीडी की सत्ता से बाहर हो गई थी।