भाजपा को तीन राज्यों (छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान) के विधानसभा चुनावों में मिली बंपर जीत के इन राज्यों में मुख्यमंत्री पद के चेहरों को लेकर चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। सोमवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इसपर चर्चा की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के बीच बैठक में क्या बात हुई, इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि शीर्ष नेतृत्व द्वारा अंतिम निर्णय लेने से पहले पार्टी में विचार-विमर्श किया जा रहा है।
केंद्रीय नेतृत्व जल्द ही छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठकों की निगरानी के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करेगा। इन बैठकों में विधायक अपने नेता का चुनाव करेंगे।
हालांकि, मुख्यमंत्री पद के संभावित चेहरों को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की ओर से कोई बयान नहीं आया है, लेकिन भाजपा के भीतर कई लोगों का मानना है कि तीन राज्यों में पार्टी को मिले प्रचंड जनादेश को उसकी नीतियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के प्रति व्यापक जनसमर्थन के रूप में देखा जाना चाहिए। ऐसे में माना जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व मुख्यमंत्रियों के नाम पर मुहर लगाएगा।
मध्य प्रदेश में विधायक निर्वाचित हुए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने इस तरह के विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की किसी विशेष योजना के चलते नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की वजह से यह भारी जनादेश मिला है।
रविवार को जब उनसे पूछा गया कि क्या लाडली बहना योजना ने राज्य में बड़ी जीत में भूमिका निभाई है, तो उन्होंने कहा, “क्या लाडली बहना योजना छत्तीसगढ़ या राजस्थान में थी।” पार्टी के कुछ नेताओं ने कहा कि अगर पार्टी तीन राज्यों में नए नेतृत्व को आगे लाना चाहती है, तो यह उपयुक्त समय है।
हालांकि, दो-तिहाई बहुमत के साथ पार्टी की जीत के बाद चौहान मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार बने हुए हैं। विजयवर्गीय के अलावा केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल, ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर जैसे राज्य के अन्य क्षत्रपों को मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल माना जा रहा है।
वहीं, पटेल से जब पूछा गया कि वह मध्य प्रदेश सहित तीन राज्यों के नतीजों को कैसे देखते हैं तो उन्होंने कहा, “यह सब मोदी नाम के जादू के कारण हुआ है।” उन्होंने जीत के लिए अमित शाह की चुनावी रणनीति को भी श्रेय दिया।
राजस्थान और छत्तीसगढ़ में, पार्टी नेताओं के बीच इस बात को लेकर प्रबल राय है कि पार्टी नए चेहरों को मौका दे सकती है, भले ही दोनों राज्यों में क्रमशः पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और रमन सिंह भी विधायक निर्वाचित हुए हैं।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुन राम मेघवाल, पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष सीपी जोशी, चुनाव प्रचार अभियान के दौरान प्रमुख चेहरों में शुमार रहीं दीया कुमारी और महंत बालकनाथ मुख्यमंत्री पद के लिए संभावित दावेदारों की सूची में शामिल हैं।
भाजपा सूत्रों ने कहा कि तीन बार विधायक रहे और पार्टी नेतृत्व के विश्वासपात्र लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं।
छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष अरुण कुमार साव, निवर्तमान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और पूर्व आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी को भी मुख्यमंत्री पद का संभावित दावेदार माना जा रहा है।
सिंह को छोड़कर बाकी तीनों नेता अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आते हैं। हालांकि, यह अवश्य कहा जाना चाहिये कि भाजपा नेतृत्व मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के चयन में अपने फैसले से पहले भी कई बार हैरान कर चुका है।