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जनादेश ’24 / पंजाब: दल बदलुओं का दलदल

हर दल से खड़े हुए दल बदलू उम्मीदवारों ने चुनाव को चौतरफा, दिलचस्प और अनिश्चित बना दिया है आम चुनाव के...
जनादेश ’24 / पंजाब: दल बदलुओं का दलदल

हर दल से खड़े हुए दल बदलू उम्मीदवारों ने चुनाव को चौतरफा, दिलचस्प और अनिश्चित बना दिया है

आम चुनाव के आखिरी चरण में 1 जून को मतदान के लिए तैयार पंजाब से ‘मैजिक’ गायब है। मैजिक के बजाय यहां बेरोजगारी, नशा, किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी जैसे मुद्दे बहुत गहरे हैं। एमएसपी की गारंटी का मुद्दा पूरी तरह से गरम है। पार्टियों के चुनावी प्रचार के समानांतर सड़कों पर उतरे किसानों के आंदोलन की आंच से  कोई दल अछूता नहीं है। उधर, आंदोलन पर सवाल खड़े करते हुए पंजाब भाजपा के अध्यक्ष सुनील जाखड़ कह रहे हैं कि किसान विरोधी दलों के महज मोहरे बनकर रह गए हैं।

हकीकत यह है कि आंदोलनकारी किसान भाजपा के उम्मीदवारों का भारी विरोध कर रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल के लिए श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी का मुद्दा अब भी गले की फांस बना हुआ है। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) को 2022 के विधानसभा चुनाव की आधी-अधूरी गारंटियों को लेकर घेरा जा रहा है। नेताओं के पलायन से खाली हुई कांग्रेस 2019 के लोकसभा नतीजे (कुल 13 में से 8 सीटों पर जीत) दोहराने की जद्दोजहद में लगी है। 2019 में गठबंधन में अकाली दल ने दो और भाजपा ने दो सीटें जीती थी जबकि आप के खाते में एक संगरूर की सीट भगवंत मान ने जीती थी।  इस बार पंजाब से किसी एक दल के लिए लोकसभा की डगर आसान नहीं है।

हरसिमरत कौर

हरसिमरत कौर

पहली दफा राज्‍य में बगैर किसी गठबंधन के चार बड़े दल कांग्रेस, अकाली दल, आप और भाजपा आमने-सामने हैं, इसलिए 4 जून को आ रहे नतीजे भी चौंकाने वाले हो सकते हैं। कोई भी बड़ा सियासी चेहरा जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है। भाजपा के कई दिग्गजों में कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुनील जाखड़ और अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल सरीखे वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव लड़ने से तौबा की तो मैदान में उतरने से पहले कई ने जमकर पाले बदले हैं। कुल 13 लोकसभा सीटों में 6 सीटों पर बड़ी पार्टियों के ज्यादातर उम्मीदवार दल बदलू हैं। उनमें एक दर्जन से अधिक उम्मीदवार मंत्री, सांसद और विधायक भी रहे हैं। दल बदलू उम्मीदवारों से पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं में विरोध के स्वर तेज होते जा रहे हैं, जिससे दल बदलुओं की साख दांव पर लगी है।

पंजाब के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि दशकों तक एक दल में रहे कई दिग्गज अब दल बदलू बनकर चुनाव मैदान में एक दूसरे के खिलाफ उतरे हैं। सबसे ज्यादा दल बदलू उम्मीदवार भाजपा ने उतारे हैं। कांग्रेस ने दो मौजूदा सांसदों में गुरजीत सिंह औजला को अमृतसर से और फतेहगढ़ से अमर सिंह को मैदान में उतारा है, वहीं तीन विधायक मैदान में हैं। आप ने पांच कैबिनेट मंत्रियों को चुनाव मैदान में उतारा है।

जालंधर लोकसभा सीट पर सबसे अधिक तीन बड़े दलों में दल बदलू उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। आप, भाजपा और अकाली दल ने दल बदलुओं को उम्मीदवार बनाया है। पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के सामने डटे दो पूर्व कांग्रेसियों में अकाली दल के उम्मीदवार मोहिंदर सिंह हैं। कांग्रेस मे रहते केपी एक बार सांसद, तीन बार विधायक और दो बार कैबिनेट मंत्री रहे हैं। भाजपा के उम्मीदवार सुशील रिंकू भी दो बार कांग्रेस के विधायक रहे हैं। आप ने जालंधर से रिंकू को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया था लेकिन उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए पाला बदला। साल भर में रिंकू की यह तीसरी पार्टी है। अकाली दल के दो बार के विधायक रहे पवन कुमार टीनू आप के उम्मीदवार हैं।

भगवंत मान

भगवंत मान

पटियाला से चार बार की सांसद रही पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर हाल ही में भाजपा में शामिल होकर पटियाला से प्रत्याशी हैं। उनके मुकाबले में कांग्रेस ने धर्मवीर गांधी को उतारा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में आप के टिकट पर गांधी ने कांग्रेस की परनीत कौर को हराया था। 2016 में आप छोड़ने वाले गांधी लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे। पटियाला पर चौतरफा मुकाबले में भगवंत मान सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे डॉ. बलबीर सिंह सिद्धू और अकाली दल से पूर्व विधायक एनके शर्मा डटे हैं।

लुधियाना सीट पर इस बार सबसे अधिक रोचक मुकाबला है। राहुल गांधी के करीबी रहे लुधियाना से तीन बार के कांग्रेसी सांसद रवनीत सिंह बिट्टू कांग्रेस छोड़ अब लुधियाना से भाजपा प्रत्याशी हैं। बिट्टू की टक्कर में कांग्रेस ने पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को मैदान में उतारकर मुकाबला कड़ा कर दिया है। वड़िंग ने कहा कि लुधियाना में उनकी लड़ाई भाजपा से नहीं, बल्कि एक दल बदलू से है। बिट्टू व वड़िंग के मुकाबले शिअद ने रणजीत सिंह व आप ने विधायक अशोक पराशर पप्पी को मैदान में हैं।

आरक्षित सीट फतेहगढ़ साहिब से पूर्व विधायक गुरप्रीत सिंह जीपी ने कांग्रेस में अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर पार्टी छोड़ी तो आप ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है। 2017 में बस्सी पठाना विधानसभा से पहली बार विधायक चुने गए गुरप्रीत का मुकाबला मौजूदा सांसद कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अमर सिंह, अकाली दल के बिक्रमजीत खालसा और भाजपा के गेजा राम वाल्मीकि से है। कैप्टन अमरिंदर तथा चरणजीत चन्नी सरकार में पंजाब सफाई कर्मचारी आयोग के चेयरमैन रहे गेजा राम भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए हैं।

होशियारपुर सीट से कांग्रेस और आप के दल बदलू उम्मीदवारों में कांग्रेस की यामिनी गोमर ने 2014 का लोकसभा चुनाव इसी सीट से आप के टिकट पर लड़ा था। इस बार आप के उम्मीदवार डॉ. राजकुमार चब्बेवाल दो बार के कांग्रेसी विधायक हैं और चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर आप में शामिल हुए हैं। उन्होंने यहां से 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था, लेकिन भाजपा के सोमप्रकाश से हार गए थे। इस बार मुकाबले में सोमप्रकाश की पत्नी अनिता सोमप्रकाश हैं, वहीं अकाली दल के सोहन सिंह ठंडल हैं।

राजा वडिंग

राजा वडिंग

खडूर साहिब से भाजपा प्रत्याशी मनजीत मन्ना  मियाविंड ने अकाली दल छोड़कर भाजपा का दामन थामा है। तीन बार के विधायक पंथक छवि के मियाविंड का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व विधायक कुलबीर जीरा, आप प्रत्याशी कैबिनेट मंत्री लालजीत भुल्लर, अकाली दल प्रत्याशी टकसाली नेता व पूर्व विधायक विरसा सिंह वल्टोहा व वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह से है। संगरूर से सांसद सिमरजीत सिंह मान की पार्टी शिअद (अमृतसर) ने अमृतपाल को समर्थन की घोषणा की है इसलिए इस सीट पर उन्होंने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है।

अमृतसर सीट पर भाजपा ने अमेरिका में राजदूत रहे तरनजीत सिंह संधू को मैदान में उतारा है, वहीं इस सीट पर आप के मंत्री कुलदीप धालीवाल मैदान में हैं। शिअद के प्रत्याशी पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी व कांग्रेस से सांसद गुरजीत औजला ने इस सीट पर मुकाबले को चौतरफा बना दिया है। 2014 से यह लोकसभा सीट कांग्रेस पार्टी के खाते में है। 2014 में अमरिंदर सिंह ने अरुण जेटली को हराया था। 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद गुरजीत सिंह औजला इस सीट से सांसद चुने गए। 2019 में भी औजला यह सीट बचाने में कामयाब रहे। कांग्रेस ने तीसरी बार औजला पर दांव खेला है।

फिरोजपुर से मौजूदा सांसद और शिअद प्रमुख सुखबीर बादल के इस सीट से चुनाव लड़ने से इंकार के कारण है कि शिअद ने नरदेव सिंह बोबी मान को मैदान में उतारा है। मुकाबले में कांग्रेस ने पूर्व अकाली नेता शेर सिंह घुबाया पर भरोसा जताया है, वहीं आम आदमी पार्टी के जगदीप बराड़ मैदान में हैं। कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री राना गुरमीत सिंह सोढ़ी ने मुकाबला चौतरफा बना दिया है।

संगरूर पंजाब की सबसे हॉट सीट है। दो बार यहां से सांसद रहे सीएम भगवंत मान ने कैबिनेट मंत्री गुरमीत हेयर को मैदान में उतारा है। मुकाबले में कांग्रेस के विधायक सुखपाल सिंह खैहरा हैं। शिअद ने पूर्व विधायक इकबाल सिंह झूंदा व भाजपा ने अरविंद खन्ना को मैदान में उतारा है। चौकोणीय मुकाबले में फंसी ज्यादातर सीटों में बाजी किसके हाथ आएगी 4 जून को चुनावी नतीजे साफ करेंगे।

 

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