लोकसभा चुनाव 2019 खत्म हो चुका है और अब हर किसी को 23 मई का इंतजार है। चुनावों के नतीजों से ठीक पहले एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन(ईवीएम) का जिन्न बाहर आ चुका है। इस बार ईवीएम के साथ छेड़छाड़ के अलावा ईवीएम स्वैपिंग के आरोप भी लगाए जा रहे हैं। यूपी के चंदौली, गाजीपुर सहित देश के अन्य राज्यों जैसे बिहार, हरियाणा और पंजाब में ईवीएम टेंपरिंग और स्ट्रॉन्ग रूम से बाहर ले जाने जैसे आरोप लग रहे हैं।
एक्जिट पोल के बाद विपक्ष ने उठाए सवाल
19 मई को अंतिम चरण के मतदान के साथ ही एक्जिट पोल भी सामने आ चुके हैं। तमाम एक्जिट पोल में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए को बहुमत मिलती दिख रही है। ऐसे में एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) चर्चा में है। विपक्ष के नेता इसे लेकर ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं।
चुनाव आयोग भी बार-बार कह चुका है कि भारत में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं हो सकती। मशीन का कोड पूरी तरह से एमबेडिड है, उसे न तो निकाला जा सकता है और न ही डाला जा सकता है। इसी पर पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने भी अपने ट्विटर अकाउंट के माध्यम से एक फोटो पोस्ट की है, जिसमें बताया गया है कि इस्तेमाल किए गए और गैर इस्तेमाल किए गए दोनों ईवीएम को एक जगह रखने और उन्हें ले जाने के लिए क्या कहते हैं चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश-
चुनाव से पहले ऐसे ईवीएम की जांच
- चुनाव से महीनों पहले राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों की देखरेख में ईवीएम की अच्छे से जांच की जाती है।
- चुनाव से 13 दिन पहले उम्मीदवारों के नाम तय होने के बाद एक बार फिर प्रत्याशियों या पार्टी प्रतिनिधियों के सामने मशीनों का परीक्षण होता है।
- जब मशीन ठीक से काम करती हैं तो उनसे दस्तखत भी लिए जाते हैं।
- वोटिंग मशीनें पूरी सुरक्षा के साथ स्ट्रॉन्ग रूम तक पहुंचाई जाएंगी और उनकी चौबीसों घंटे निगरानी होगी।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद सोशल मीडिया पर ईवीएम को स्ट्रॉन्ग रूम से शिफ्ट करने के कुछ वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें दावा किया जा रहा है कि बिना किसी सुरक्षा के ईवीएम से भरी गाड़ी को एक जगह से दूसरी जगह पर शिफ्ट किया जा रहा है। विपक्षी दलों के कई नेता भी इन आरोपों के आधार पर चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
चुनाव आयोग ने दिलाया भरोसा
ईवीएम बदले जाने की तमाम खबरों के बीच चुनाव आयोग को बयान जारी कर कहना पड़ा है कि उन पर भरोसा रखा जाए और मतदाताओं के मत सुरक्षित हैं। सोशल मीडिया में ईवीएम शिफ्ट होने का वीडियो वायरल होने के बाद चुनाव आयोग को आगे आना पड़ा। भारत में यह संभवतः पहली बार है जब चुनाव आयोग को इस तरह से अपने पक्ष में बयान जारी कर सफाई देनी पड़ रही है।
क्या है ईवीएम
भारत में चुनावों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल किया जाता है। इससे पहले बैलेट पेपर का इस्तेमाल करके चुनाव प्रक्रिया को पूरा किया जाता था। लेकिन 1980 के दशक में प्रायोगिक तौर पर शुरू होने के बाद पिछले करीब दो दशक से लगभग हर चुनाव में ईवीएम का ही इस्तेमाल होता है। बैलेट पेपर के मुकाबले ईवीएम प्रणाली ज्यादा तेज और सुरक्षित मानी जाती है। इसके अलावा पर्यावरण के लिहाज से भी इसके इस्तेमाल को उचित ठहराया जाता है, क्योंकि इसमें पेपर का इस्तेमाल नहीं होता। यही नहीं पेपर बैलेट के मुकाबले ईवीएम के माध्यम को सस्ता भी समझा जाता है।
भारत में दो जगहों पर बनाई जाती है ये मशीन
- भारत इलेक्ट्रॉनिक लीमिटेड (बेंगलुरु)।
- इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (हैदराबाद)।