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सीलिंग रुकवाने के साथ मेट्रो के विस्तार और अस्पातल के निर्माण का वादा-जाखड़

पश्चिमी दिल्ली की लोकसभा सीट पर आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भाजपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। वर्ष 2008...
सीलिंग रुकवाने के साथ मेट्रो के विस्तार और अस्पातल के निर्माण का वादा-जाखड़

पश्चिमी दिल्ली की लोकसभा सीट पर आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और भाजपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। वर्ष 2008 में अस्तित्व में आई पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट में कुल 16,87,727 मतदाता हैं। सीलिंग, पीने का पानी, परिवहन तथा जाम से जूझ रही पश्चिमी दिल्ली की लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार बलबीर सिंह जाखड़ पेशे से वकील हैं, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मौजूदा सांसद प्रवेश वर्मा के साथ ही कांग्रेस प्रत्याशी महाबल मिश्रा के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। सांसद चुने जाने पर बलबीर सिंह जाखड़ की क्या प्राथमिकताएं होंगी? के साथ ही अन्य मुद्दों पर आउटलुक के वरिष्ठ संवाददाता आर. एस. राणा ने उनसे बातचीत की। पेश है मुख्‍य अंश।

आप लोकसभा चुनाव जीतते हैं तो पहले पांच काम क्या करेंगे?

चुनाव जीतने पर हम पहले पांच कामों में दिल्ली में चल रही सीलिंग को रुकवाने का प्रयास, दिल्ली देहात यानी ढांसा बार्डर तक मेट्रो का विस्तार, घुमनहेड़ा में वेस्ट कैंपस का निर्माण, पश्चिमी दिल्ली में एम्स की तर्ज पर एक बड़े अस्पताल का निर्माण कराने के साथ ही युवाओं के लिए खेल परिसर और कच्ची कालोनियों को नियमित कराने को प्राथमिकता देंगे।

आपके क्षेत्र में प्रमुख समस्याएं क्या हैं?

हर क्षेत्र की अपनी अगल-अलग समस्याएं होती हैं, पश्चिमी दिल्ली में दूर देहात में पेयजल की बहुत कमी है। उसके लिए अंडरग्राउंड जलाशयों का निर्मण होना है। इसके अलावा सीलिंग की समस्या से पूरी दिल्ली के साथ ही पश्चिमी दिल्ली भी त्रस्त है। परिवहन व्यवस्था दूर देहात व गांव में नहीं है, अस्पतालों की सुविधा नहीं है। पढ़ाई के लिए बच्चों को दूर जाना पड़ता है तथा रोजगार की समस्या भी विकट है।

मायापुरी में सीलिंग को लेकर काफी बवाल हुआ था, इस पर आपका क्या कहना है?

मायापुरी में जारी ट्रेडर्स व स्क्रैप डीलर्स की सीलिंग नियमविरुद्ध है, क्योंकि वे प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयां नहीं हैं। बिना नोटिस के उन पर सीलिंग का दस्ता कार्यवाही के लिए आ पहुंचा था। मैं एक वकील होने के नाते मायापुरी व पश्चिमी दिल्ली में सीलिंग के विरुद्ध जनता को न्याय दिलाने के लिए अदालत से लेकर संसद तक लड़ता रहूंगा।

सीलिंग के खिलाफ में अदालत में अभी भी लड़ रहा हूं, आज ही अदालत ने सीलिंग पर 20 मई तक रोक लगा दी है, साथ ही एनजीटी को फटकार भी लगाई है।

सीलिंग को लेकर दिल्ली सरकार, केंद्र को जिम्मेदार मानती है, जबकि केंद्र इसकी जिम्मेदारी दिल्ली सरकार पर डाल रही हैं?

दिल्ली में सीलिंग की कार्यवाही सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार हो रही है, इसलिए यदि इसे रोकना है तो केंद्र सरकार ही संसद में इससे संबं‌धित अध्यादेश लाकर इस पर रोक लगा सकती है। यह कार्य दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।


आपकी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज देने की मांग को प्रमुखता से रखा है, इससे क्या फायदा होगा?

दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की बात कभी सत्‍ता में आने के लिए भाजपा और कांग्रेस भी करती रही हैं, पर आज वे इससे मुकर चुकी हैं। यह दिल्ली के नागरिकों के साथ धोखाधड़ी है। दिल्ली की सारी समस्याओं की जड़ ही दिल्ली का पूर्ण राज्य न होना है। कानून-व्यवस्था के लिए दिल्ली पुलिस जिम्मेदार है पर वह दिल्ली सरकार के अधीन नहीं है। जमीन के मामले डीडीए के अंतर्गत हैं जोकि दिल्ली सरकार के अधीन नहीं है। इससे नए स्कूल, नए कालेज, विश्वविद्यालय, अस्पताल, खेल परिसर आदि नहीं खोले जा सकते। ऐसा न होने से दिल्ली सरकार बेबस है। एक बार दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाए तो यह सारे काम आसान हो सकते हैं। जैसे अन्य राज्यों में होता है। राज्य होने के बाद दिल्ली की राजधानी होने की विशिष्टता को भला किस बात का खतरा है।

आपके घोषणापत्र में शिक्षा और नौकरी में 85 फीसदी सीट दिल्ली के बच्चों के लिए रिजर्व करने की बात कही गई है, जबकि दिल्ली देश की राजधानी है?

दिल्ली सरकार में दो लाख नौकरियां हैं, यदि यह पूर्ण राज्य हो तो यहां स्थानीय लोगों के लिए 85 फीसदी तक नौकरियों में आरक्षण करना आसान होगा। अधूरा राज्य होने के कारण यह संभव नहीं है। यही हाल यहां के स्कूल, कालेजों में पढ़ने वाले बच्चों का है। यदि यह पूर्ण राज्य हो जाए तो यहां 65 फीसदी तक अंक पाने वाले 85 फीसदी बच्चों को कालेजों में दाखिला मिल सकेगा, जैसा कि अन्य राज्यों में प्रावधान है। जहां तक पूर्ण राज्य का दर्जा देने का सवाल है, यह प्रशासनिक नहीं बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है। केंद्र सरकार राजधानी होने के बावजूद दिल्ली की इन समस्याओं के निदान के लिए न स्वयं कारगर कदम उठाती है, न दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए आगे आती है।

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