चौथे चरण में प्रदेश के 18 जिलों के 13 लोक सभा क्षेत्रों में जगह-जगह ईवीएम की खराबी की शिकायतों के कारण मतदान की स्पीड शुरूआती दौर में धीमी रही। 5 बजे तक कुल 53.23 फीसदी मतदान हो सका, जिसमें सबसे ज्यादा झांसी में 25 फीसदी और सबसे कम इटावा में 18.06 फीसदी हुआ। हालांकि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, बसपा सुप्रीमो मायावती, सपा मुखिया अखिलेश यादव समेत तमाम नेताओं ने ज्यादा से ज्यादा मतदान करने की अपील की थी। साथ ही चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान की शुरूआत की थी। इसके बावजूद मतदान प्रतिशन बढ़ाने में सफलता नहीं मिल पा रही है।
चौथे चरण में यूपी के कई सियासी दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। उन्नाव से भाजपा के साक्षी महाराज और कांग्रेस की अनु टण्डन, कानपुर से भाजपा के सत्यदेव पचौरी और कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल, फर्रुखाबाद से कांग्रेस के सलमान खुर्शीद, कन्नौज से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव व भाजपा के सुब्रत पाठक, इटावा से भाजपा के राम शंकर कठेरिया व सपा के कमलेश कठेरिया प्रमुख उम्मीदवार हैं। चौथे चरण में दो करोड़ 41 लाख सात हजार 84 मतदाता 157 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। सबसे अधिक मतदाताओं की संख्या 21,88,558 उन्नाव लोकसभा क्षेत्र में और सबसे कम मतदाताओं की संख्या 16,31,296 कानपुर लोकसभा क्षेत्र में है। ईवीएम में खराबी और सत्ता के दुरुपयोग को लेकर सपा का एक प्रतिनिधिमंडल साढ़े 12 बजे मुख्य निर्वाचन आयुक्त से मुलाकात कर शिकायत करने जा रहा है। सपा ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार सत्ता का दुरुपयोग कर रही है।
ये है 11 बजे तक का मतदान प्रतिशत
शाहजहांपुर में 21.83
खीरी में 23.50
हरदोई में 22.10
मिश्रिख में 21.40
उन्नाव में 21.83
फर्रूखाबाद में 21.71
इटावा में 18.06
कन्नौज में 18.34
कानपुर में 19.7
अकबरपुर में 19.50
जालौन में 19.06
झांसी में 25.00
हमीरपुर में 22.62
निघासन में हो रहा उपचुनाव
लखीमपुर खीरी लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली रिक्त विधानसभा सीट निघासन में उपचुनाव हो रहा है। इसमें नौ बजे तक 15 फीसदी मतदान भी हुआ है। यहां सात प्रत्याशियों को 3,35,987 मतदाता चुनेंगे। 2017 में हुए विधानसभा के चुनाव में बीजेपी के रामकुमार वर्मा निर्वाचत हुए थे। लंबी बीमारी के बाद 30 सितंबर को विधायक रामकुमार वर्मा का निधन हो गया था। रामकुमार वर्मा चार बार विधायक और दो बार मंत्री रह चुके हैं। आरएसएस पृष्ठि भूमि से संबंध रखने वाले रामकुमार वर्मा, कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में मंत्री भी थे। सहकारिता मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल को काफी सराहा जाता है, वे पहली बार 1991 में विधायक निर्वाचित हुए थे। 2017 में यूपी के निघासन विधानसभा सीट से बीजेपी के रामकुमार वर्मा की मृत्यु के बाद यह सीट खाली हो गई थी।