हिमाचल प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार में ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा सीएम ऑफिस को भेजा है। अनिल एक साल तीन माह से ज्यादा समय तक मंत्री पद पर रहे हैं। शर्मा के पिता पंडित सुखराम और बेटे आश्रय के कांग्रेस में चले जाने के बाद सियासी हलचल तेज हो गई थी। बेटे आश्रय शर्मा को मंडी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी का टिकट मिलने से अनिल शर्मा कई दिनों से असमंजस में थे। वह न तो अपने बेटे का खुलकर साथ दे पा रहे थे और न ही भाजपा के साथ चल रहे थे।
धर्मसंकट में फंसे अनिल शर्मा ने भाजपा और कांग्रेस किसी भी पार्टी के लिए प्रचार न करने का ऐलान किया था। वहीं, भाजपा भी अनिल शर्मा पर चुनाव प्रचार के लिए दबाव बना रही थी। दो दिन पहले अनिल शर्मा के फोटो के साथ भाजपा को वोट की अपील के पोस्टर भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे, जिसके बाद शर्मा भड़क गए थे। उन्होंने कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी। हालांकि लंबी जद्दोजहद के बाद शुक्रवार को शर्मा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।
मंडी से बेटे आश्रय शर्मा को कांग्रेस का टिकट
बेटे आश्रय शर्मा को मंडी से कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद भाजपा ने अनिल शर्मा को साफ शब्दों में कह दिया था कि या तो वे अपने बेटे को चुने या पार्टी के प्रत्याशी रामस्वरूप शर्मा के लिए मंडी में अपने बेटे के खिलाफ प्रचार में जाए। जिसके बाद अनिल शर्मा ने बेटे का साथ देने का फैसला लिया और मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा भेज दिया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि अनिल शर्मा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। सीएम ने कहा कि शिमला जाकर वो देखेंगे कि अनिल शर्मा ने अपने इस्तीफे में क्या लिखा है।
भाजपा-कांग्रेस में अनिल शर्मा को लेकर जारी था आरोप प्रत्यारोप का दौर
बता दें कि आए दिन भाजपा और कांग्रेस में अनिल शर्मा को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा था। लेकिन अब यह जुबानी जंग थम गई है। अनिल शर्मा के बेटे आश्रय शर्मा और पिता सुखराम ने हाल ही में भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। इसके बाद से अनिल पर नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने का दवाब था। हालांकि उन्होंने भाजपा की सदस्यता अभी नहीं छोड़ी है।