उपचुनाव के परिणाम के बाद मध्य प्रदेश भाजपा में ज्योतिरादित्य सिंधिया एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित हो गये है। इन परिणामों से स्पष्ट हो गया कि सिंधिया का अपना एक बड़ा वोट बैंक है और वो भाजपा में स्थानांतरित हो गया है। इसी वजह से कांग्रेस छोड़कर उनके साथ भाजपा में आये ज्यादातर विधायकों ने दोबारा जीत दर्ज कर ली है।
सिंधिया की वजह से बढा वोट शेयर
वर्ष 2018 के विधान सभा चुनावों में भाजपा को 42.30 फीसदी वोट मिले थे। इस उपचुनाव में भाजपा को करीब 56 फीसदी वोट मिले है। वोट हिस्सेदारी में इतना बड़ा उछाल सिंधिया की वजह से आया है,उन्होंने अपने वोट बैंक को पूरी तरह से भाजपा के साथ ला दिया है।
चुनाव का सबसे बड़ा कारण कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया थे। चुनाव में उनकी साख दांव पर थी। इस जीत के बाद वे पूरी तरह से भाजपा में बड़े कद के नेता के रूप में स्थापित हो गये है। मुरैना को छोड़कर उनके समर्थक सभी विधयाक ने जीत दर्ज की है। यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि कई विधान सभा में भाजपा कार्यकर्ताओं क भीतरघात भी देखने को मिला है। इसके बावजूद सिंधिया समर्थक विधायकों ने ज्यादातर सीटों पर जीत दर्ज की है। उनके समर्थक विधायकों में एक को छोड़कर सभी मंत्रियों ने भी जीत दर्ज की है।
राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ेगा कद
उपचुनावों में इस जीत के बाद सिंधिया ने केवल मध्य प्रदेश बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी उनका कद बढ़ना तय माना जा रहा है। केन्द्र में मोदी सरकार इन परिणामों के बाद जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार करेगी, जिसमें सिंधिया को महत्वपूर्ण विभाग के साथ मंत्री बनाया जाना तय है। मध्य प्रदेश में भी शिवराज सिंह के साथ उनका बेहतर तालमेल है, जिसके चलते उनका प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण दखल रहेगा।