महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने शुक्रवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अपना इस्तीफा भी सौंप दिया। 24 अक्टूबर को नतीजे आने के 15 दिन बाद भी सरकार गठन का कोई रास्ता नहीं निकल पाया है। महाराष्ट्र विधानसभा में सरकार बनाने का संख्या बल 145 है और भाजपा-शिवसेना गठबंधन को 161 सीटें मिली हैं, लेकिन दोनों दलों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर तकरार जारी है। इस बीच केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता नितिन गडकरी मुंबई पहुंच गए हैं। उनका कहना है कि उनकी पार्टी और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद और दूसरे विभागों के बंटवारे पर कभी कोई समझौता नहीं हुआ था।
गडकरी ने कहा कि भाजपा शिवसेना के साथ मुख्यमंत्री पद साझा नहीं करने के अपने रुख पर कायम है। उनकी बातों से संकेत मिलता है कि भाजपा शिवसेना के सामने झुकने को तैयार नहीं है। इससे पहले गडकरी ने संकेत दिया था कि वे महाराष्ट्र में सत्ता साझा करने को लेकर अपनी पार्टी और शिवसेना के बीच गतिरोध तोड़ने के लिए हस्तक्षेप नहीं करेंगे। लेकिन उनकी मुंबई यात्रा से राजनीतिक हलकों में अटकलें लगाईं जा रही हैं कि वह मुख्यमंत्री पद साझा करने के पखवाड़े से ज्यादा चल रहे भाजपा-शिवसेना के झगड़े में मध्यस्थता करेंगे। संभव है कि वे गठबंधन तोड़ने के लिए कदम उठाएं। मुख्यमंत्री पद को लेकर राज्य में सरकार बनाने में देरी हो रही है।
बाला साहेब की बात का दिया हवाला
गडकरी ने संवाददाताओं को जवाब देते हुए कहा, “मैं यहां किसी नेता से नहीं मिल रहा हूं। यदि जरूरत होगी तो ही मैं मध्यस्थता करूंगा। मैं यहां एक कार्यक्रम के लिए आया हूं। मेरी जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र में विभागों के बंटवारे को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच कोई समझौता नहीं था।” उन्होंने बाला साहेब ठाकरे को याद करते हुए कहा, “एक बार बाला साहेब ने भी शिवसेना-भाजपा के बीच की व्यवस्था पर कहा था कि निर्वाचित विधायकों की अधिक संख्या वाली पार्टी का ही मुख्यमंत्री पद पर दावा होगा।” हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि गडकरी, देवेंद्र फडणवीस के सरकारी आवास पर शुक्रवार को होने वाली महाराष्ट्र भाजपा नेताओं की कोर समिति की बैठक में शामिल होंगे या नहीं।
पद पर अटकी सरकार
21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना को 56 सीटें हासिल हुई हैं। परिणाम आने के बाद से ही सत्ता में साझीदार होने के मुद्दे के चलते सरकार नहीं बन पा रही है। हालांकि दोनों ही पार्टियों ने एक साथ या अलग से सरकार बनाने का दावा नहीं किया है। एनसीपी और कांग्रेस ने क्रमशः 54 और 44 सीटें जीती हैं। 288 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए जादुई आंकड़ा 145 है।