आखिरी दौर के मतदान के साथ ही विपक्षी दलों के बीच सरकार बनाने के लिए कवायद और तेज हो गई है। पिछले शुक्रवार को नई दिल्ली आए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगू देशम पार्टी के नेता चंद्रबाबू नायडू ने शुक्रवार और शनिवार को कई नेताओं से मुलाकातें की थीं। रविवार को उन्होंने इन नेताओं से दूसरे दौर की बैठकें भी शुरू कर दी हैं।
राहुल और पवार से फिर से मुलाकातें
नायडू ने पिछले दो दिनों के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआइ) के नेताओं से वार्ताएं की थीं। उन्होंने रविवार को राहुल गांधी और शरद पवार सहित कई नेताओं से दोबारा भेंट की। वह 23 मई को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले गैर भाजपा मोर्चे को मजबूत बनाने के लिए नेताओं से संपर्क साध रहे हैं। शुक्रवार को नई दिल्ली में बैठकों के बाद नायडू लखनऊ चले गए थे। वहां उन्होंने समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और बसपा की प्रमुख मायावती से मुलाकातें कीं।
एक मंच पर लाने की कवायद
रविवार को गांधी और पवार से नायडू की मुलाकातें राजनीतिक नजरिये से अहम मानी जा रही हैं क्योंकि उन्होंने सपा और बसपा से विचार विमर्श करने के बाद दूसरे दौर की मुलाकातें की हैं। इन दोनों दलों ने विपक्षी गठबंधन को खुलेतौर पर समर्थन अभी तक नहीं दिया है। टीडीपी प्रमुख नायडू गैर एनडीए पार्टियों को एक मंच पर लाने के लिए वार्ताएं कर रहे हैं ताकि एनडीए को बहुमत न मिलने की स्थिति में अगली सरकार बनाने के लिए विपक्षी दल मिलकर दावा पेश कर सकें।
क्या है दूसरे दलों की राय
नायडू तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी समेत कई विपक्षों नेताओं से कई दौर की वार्ताएं कर चुके हैं। टीडीपी के सूत्रों के अनुसार नायडू यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी से रविवार की शाम को मुलाकात करने वाले हैं। उन्होंने शनिवार को सीपीआइ के नेताओं से भी भेंट की थी। शुक्रवार को नायडू ने कहा था कि के. चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) समेत सभी राजनीतिक पार्टियों का गैर भाजपा महागठबंधन में स्वागत है। नायडू ने शुक्रवार को चुनाव आयोग से भी संपर्क किया। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग भेदभाव कर रहा है और सरकार का पक्ष ले रहा है।
त्रिशंकु लोकसभा बनने पर अहम भूमिका
नायडू की टीडीपी एनपीए का घटक दल होता था लेकिन कुछ महीनों पहले उन्होंने एनडीए छोड़ दिया। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को नई सरकार बनाने के लिए पर्याप्त समर्थन मिलने का विश्वास है। इस बीच कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी डीएमके को यूपीए में शामिल करने के लिए इसके नेता एम. के. स्टालिन के संपर्क में हैं। डीएमके कांग्रेस की सहयोगी पार्टी है। इसके नेता स्टालिन तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) वाईएसआर कांग्रेस पार्टी का समर्थन हासिल करने के लिए कई चैनलों से प्रयास कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव का त्रिशंकु जनादेश आने की स्थिति में इन दोनों दलों का समर्थन सरकार के लिए बहुत अहम होगा। पिछले 13 मई को टीआरएस प्रमुख राव और डीएमके के नेता स्टालिन के बीच चेन्नई में बैठक के बाद हाल का घटनाक्रम ज्यादा अहम हो जाता है।
डीएमके कांग्रेस के साथ
यद्यपि केसीआर ने संघीय मोर्चा के विचार पर चर्चा की है और क्षेत्रीय दलों के प्रस्तावित गठबंधन को समर्थन देने का स्टालिन से अनुरोध किया है। जबकि स्टालिन ने गैर भाजपा सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को समर्थन देने की बात की। चूंकि स्टालिन ने यह पहल की है, इसलिए कांग्रेस हाईकमान केसीआर और जगन से आगे की वार्ता के लिए उन पर भरोसा करने को गंभीर है।