राजस्थान की दौसा विधानसभा सीट पर उपचुनाव में अपने भाई और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी जगमोहन मीणा की हार से दुखी राज्य सरकार में मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि वह चाटुकारिता नहीं करते और इसी प्रवृत्ति के कारण वह राजनीतिक जीवन में बहुत नुकसान उठा चुके हैं। मीणा ने कहा, “मुझे तो सदा ही अपनों ने ही मारा है।”
दौसा विधानसभा सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार दीनदयाल ने जगमोहन को 2300 मतों के अंतर से शिकस्त दी।
छह बार के विधायक, दो बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सदस्य रह चुके किरोड़ी मीणा ने उपचुनाव के नतीजों पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने, “45 वर्ष हो गए। राजनीति के सफर के दौरान सभी वर्गों के लिए संघर्ष किया। जनहित में सैकड़ों आंदोलन किए। साहस से लड़ा। बदले में पुलिस के हाथों अनगिनत चोटें खाईं। आज भी बादल घिरते हैं तो पूरा बदन कराह उठता है। मीसा से लेकर जनता की खातिर दर्जनों बार जेल की सलाखों के पीछे रहा।”
उन्होंने कहा, “संघर्ष की इसी मजबूत नींव और सशक्त धरातल के बूते दौसा का उपचुनाव लड़ा। जनता के आगे संघर्ष की दास्तां रखी। घर-घर जाकर वोटों की भीख मांगी। फिर भी कुछ लोगों का दिल नहीं पसीजा।”
मीणा ने कहा, “ साढ़े चार दशक के संघर्ष से न तो हताश हूं और न ही निराश। पराजय ने मुझे सबक अवश्य सिखाया लेकिन विचलित नहीं हूं।” उन्होंने कहा, “मुझमें बस एक ही कमी है कि मैं चाटुकारिता नहीं करता और इसी प्रवृत्ति के चलते मैंने राजनीतिक जीवन में बहुत नुकसान उठाया है। स्वाभिमानी हूं। जनता की खातिर जान की बाजी लगा सकता हूं। गैरों में कहां दम था, मुझे तो सदा ही अपनों ने ही मारा है।”
राजस्थान की सात सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने पांच तथा कांग्रेस और बीएपी ने एक-एक सीट जीती।