राजस्थान उपचुनाव में अलवर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी करण सिंह यादव ने बीजेपी के जसवंत सिंह यादव पर निर्णायक बढ़त बना ली है। अजमेर लोकसभा सीट से बीजेपी के राम स्वरूप लांबा हारने की कगार पर हैं। यहां से कांग्रेस के रघु शर्मा बढ़त बनाए हुए हैं।
उधर, मांडलगढ़ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी विवेक धाकड़ ने बीजेपी के शक्ति सिंह हाडा को 12976 वोटों से हराया। मांडलगढ़ सीट का इतिहास देखें तो अब तक हुए कुल 15 चुनाव में पांच बार जीत का अंतर तीन हजार वोटों से भी कम का रहा है। हालांकि, देखा जाए तो इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। 15 चुनाव में से 10 बार कांग्रेस के उम्मीदवार इस सीट से विजयी हुए। हालांकि, उपचुनाव से पहले यह सीट बीजेपी के पास थी। विधायक कीर्ति कुमारी के निधन के बाद यहां चुनाव हुए।
मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण में धाकड़ आगे
जातीय समीकरण के लिहाज से यह सीट काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही थी। यही वजह है कि शुरुआती रुझान में बीजेपी को बढ़त मिली थी, लेकिन अंततः जीत कांग्रेस को मिली। अगर जातीय समीकरण की बात की जए तो इस क्षेत्र में लगभग 30 से 35 हजार वोटर्स इसी जाति से हैं। यह भी एक वजह थी कि कांग्रेस ने विवेक धाकड़ पर अपना दांव खेला।
...तो पद्मावत और आनंदपाल नहीं संभाल पाई राज्य सरकार
यह भी कहा जा रहा है कि पद्मावत और आनंदपाल गुर्जर मामले में राज्य सरकार की रवैये से भी भाजपा को नुकसान पहुंचा। कयास लगाए जा रहे थे कि अलवर, अजमेर लोकसभा और मांडलगढ़ विधानसभा उपचुनाव के नतीजे ये दोनों फैक्टर ही तय करेंगे। राजपूत संगठनों ने चुनाव से पहले वसुंधरा राजे सरकार पर वादाखिलाफी के आरोप लगाते हुए कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा भी की थी। इसके बाद कांग्रेस ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। चुनाव से पहले राजस्थान की राजनीति में राजपूत समाज खासा चर्चा में रही। राजपूत समाज के विभिन्न संगठनों ने बीजेपी पर आनंदपाल एनकाउंटर और पद्मावत मामलों में उपेक्षा का भी आरोप लगाया था। फिर उपचुनाव में कांग्रेस को पूर्ण समर्थन की घोषणा कर दी।