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विधानसभा चुनाव’24 हरियाणा: भगवा कुनबे में बगावत

दस साल की एंटी-इन्कंबेंसी और परिवारवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद जैसे समीकरण साधने के चक्कर में सत्तारूढ़...
विधानसभा चुनाव’24 हरियाणा: भगवा कुनबे में बगावत

दस साल की एंटी-इन्कंबेंसी और परिवारवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद जैसे समीकरण साधने के चक्कर में सत्तारूढ़ भाजपा कलह के चक्रव्यूह में फंसी

हरियाणा की 90 सीटों वाली विधानसभा के 5 अक्टूबर को मतदान के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की 4 सितंबर को जारी 67 उम्मीदवारों की पहली सूची में ही पार्टी आलाकमान की तमाम जातिगत और श्रेत्रीय समीकरण साधने की कोशिश उसके कुनबे में भारी बगावत में गुम होती लगी। बाद की सूची और मान-मनौवल की कोशिशें कितना काम करती हैं, शायद इसका नजारा 5 अक्टूबर की वोटिंग में दिखेगा। पहली सूची में 10 साल की एंटी- इन्‍कंबेंसी से उबरने के लिए शामिल किए गए 25 नए चेहरे परिवारवाद और दलबदल की देन हैं। परिवारवाद को लेकर कांग्रेस को कोसने वाली भाजपा इस बार उसी चाल में फंसती लग रही है। उधर, टिकट न मिलने से तीन मंत्री, सात विधायक और दो दर्जन से अधिक पूर्व मंत्री तथा विधायकों में 20 से अधिक नेता बतौर निर्दलीय भाजपा उम्मीदवारों को घेरने के लिए तैयार हैं। यही नहीं, कुछ जानकारों के मुताबिक प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों से करीब 3,000 से ज्‍यादा सक्रिय और पकड़ रखने वाले नेता-कार्यकर्ता पार्टी से इस्‍तीफा दे चुके हैं।

निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाले मंत्रियों में रानियां से विधायक रणजीत चौटाला और सोहना के विधायक संजय सिंह हैं। टिकट कटने पर मंत्री विशंभर वाल्मीकि के रोने की तस्वीरें वायरल हुईं। बवानी खेड़ा से दो बार के विधायक विशंभर ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। कांग्रेस से भाजपा में आए मेयर निखिल मदान को टिकट दिए जाने के विरोध में आंसू बहाती पूर्व मंत्री तथा तीन बार की विधायक कविता जैन भी सोनीपत से आजाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतर सकती हैं। पूर्व मंत्री बच्चन सिंह आर्य को सफीदो से टिकट की उम्मीद थी पर वहां भी दलबदलू जननायक जनता पार्टी (जजपा) के विधायक रामकुमार गौतम के भाजपा में शामिल होने के दो दिन बाद ही टिकट मिल गया। अब आर्य निर्दलीय खड़े होकर भाजपा की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं।

सावित्री जिंदल

सावित्री जिंदल

सिरसा जिले की रानियां सीट से विधायक, पूर्व उप-प्रधानमंत्री देवीलाल के पुत्र तथा कैबिनेट मंत्री रणजीत चौटाला ने भाजपा से इस्तीफा देकर बतौर निर्दलीय चुनावी रण में उतरने का ऐलान किया है। आउटलुक से चौटाला ने कहा, “भाजपा आलाकमान ने मुझे डबवाली से चुनाव लड़ने को कहा था लेकिन मैं अपनी पंरपरागत सीट रानियां नहीं छोड़ सकता, इसलिए मैंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया और अब निर्दलीय चुनाव लडूंगा।” 2019 में कांग्रेस का टिकट न मिलने पर चौटाला रानियां से निर्दलीय जीते थे। बहुमत से दूर रही भाजपा ने समर्थन के बदले रणजीत को कैबिनेट मंत्री बनाया और 2024 का लोकसभा चुनाव हिसार से भाजपा के टिकट लड़ाया पर वे कांग्रेस के जयप्रकाश से हार गए। इस हार के बाद रणजीत की उल्टी गिनती शुरू हो गई और अंतत: भाजपा से किनारा करना पड़ा। रानियां में भी रणजीत के लिए चुनौती इस बार आसान नहीं है क्योंकि इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के प्रधान महासचिव अभय चौटाला ने अपने पुत्र करण चौटाला को मैदान में उतारा है। सिरसा से हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा ने भी अपने पुत्र धवल कांडा को उतारने का ऐलान किया है। शायद कड़ी चुनौती को भांपकर भाजपा आलाकमान ने रणजीत को डबवाली से टिकट की पेशकश की थी।

ओबीसी कोटे से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी अपनी मौजूदा करनाल सीट से लाडवा भेज दिए गए, लेकिन उनकी दावेदारी कायम रखने के लिए भाजपा ने पहली सूची में 15 ओबीसी चेहरों पर दांव लगाया है। लेकिन इंद्री हलके से टिकट कटने से नाराज पार्टी के हरियाणा ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले पूर्व मंत्री कर्णदेव कंबोज को भाजपा नहीं मना पाई है।

जाट और गैर-जाट तथा दलितों के बीच समीकरण साधने के लिए 13 जाट, 13 दलित, 10 पंजाबी, 9 ब्राह्मण, 5 वैश्य, 2 राजपूत और 2 बिश्नोई चेहरों पर तीसरी पारी के लिए कमल खिलाने की जिम्मेदारी है।  मौजूदा सूची में 17 मौजूदा विधायकों, आठ मंत्रियों और एक राज्यसभा सांसद पर दोबारा दांव खेला गया है। भाजपा ने नेताओं के परिजनों को छह टिकट दिए हैं। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव को अटेली से उम्मीदवार बनाया गया है। कांग्रेस की तीन दशक की सियासत छोड़कर 2014 में भाजपा में शामिल हुए राव 2024 तक लगातार दस साल केंद्र में मंत्री रहे पर मोदी-3 सरकार में भी राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने से नाराज बताए जाते हैं। उनकी नाराजगी दूर करने के लिए उनकी बेटी आरती को टिकट दिया गया।

हाल ही में कांग्रेस की तीन दशक से अधिक की सियासत छोड़कर भाजपाई हुईं किरण चौधरी राज्यसभा सांसद बना दी गईं और अब बेटी श्रुति चौधरी को तोशाम से विधानसभा भेजने की तैयारी है। राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा की मां शक्ति रानी को कालका से, पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को आदमपुर से, पूर्व सांसद करतार भड़ाना के बेटे मनमोहन भड़ाना को समालखा से मैदान में उतारा गया है। पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान के बेटे सुनील सांगवान को दादरी से टिकट मिला है, लेकिन कुरुक्षेत्र से सांसद नवीन जिंदल अपनी मां सावित्री जिंदल के लिए हिसार से टिकट नहीं जुटा सके। सावित्री ने बतौर आजाद उम्मीदवार भाजपा के कमल गुप्ता के खिलाफ मैदान में उतरने का ऐलान किया है।

भाजपा का टिकट पाने वाले नौ दलबदलुओं में जजपा के पांच नेताओं में तीन विधायकों रामकुमार गौतम, देवेंद्र बबली और अनूप धानक को पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर की सिफारिश पर टिकट दिए गए हैं। उनके अलावा जजपा के पवन कुमार और संजय कबलाना शामिल हैं। भाजपा में शामिल हुए जजपा के चौथे विधायक जोगीराम सिहाग को अभी टिकट का इंतजार है। लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस छोड़र भाजपा में शामिल हुए सोनीपत के मेयर निखिल मदान के लिए भाजपा के टिकट पर यह सीट आसान नहीं है। राज्यसभा सांसद कार्तिकेय की मां शक्ति रानी शर्मा के लिए कालका सीट नई है। वे हरियाणा जनहित पार्टी से भाजपा में शामिल हुईं और अंबाला शहर की मेयर हैं। इनेलो से भाजपा में शामिल हुए शाम सिंह की राह भी आसान नहीं है।

राव इंद्रजीत के साथ बेटी आरती

राव इंद्रजीत के साथ बेटी आरती

मौजूदा विधायकों के बदले उन पुराने चेहरों पर भी दांव खेला गया है जो 2019 के विधानसभा चुनाव में हार गए थे। उनमें दो जाट चेहरों में नारनौंद से कैप्टन अभिमन्यु और बादली से ओमप्रकाश धनखड़ हैं। साढ़ौरा से बलवंत सिंह, नीलोखेड़ी से भगवानदास कबीरपंथी, इसराना से कृष्ण लाल पंवार हैं। पंवार एकमात्र सांसद हैं जिन्हें भाजपा ने चुनाव में उतारा है। भाजपा के बड़े दलित चहरे के रूप में पंवार, खट्टर की पहली पारी की सरकार में परिवहन मंत्री भी रह चुके हैं।

 भाजपा के जिन सात वर्तमान विधायकों को टिकट का फैसला अगली सूची में होना है, उनमें गन्नोर से विधायक निर्मल रानी, नारनौल से ओमप्रकाश यादव, बावल से बनवारी लाल, पटौदी से सत्यप्रकाश, हथीन से परवीन डागर, होडल से जगदीश नैयर और बड़खल से सीमा त्रिखा हैं। चुनाव लड़ने से इनकार करने वाले मोहनलाल बड़ौली की सीट राई से भी किसी उम्मीदवार का फैसला नहीं हो पाया है।

 केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के करीबी गौरव गौतम पलवल से प्रत्याशी हैं। कांग्रेस के दिग्गज पूर्व मंत्री तथा नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समधी करण दलाल से उनका मुकाबला रोचक होगा। विवादों में रहे भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान तथा पूर्व खेल मंत्री संदीप सिंह को भाजपा ने प्रत्याशी बनाने से परहेज किया है। 2019 के चुनाव में सिख बहुल सीट पिहोवा से विधायक चुने गए संदीप की जगह नए सिख चेहरे कमलजीत सिंह अजराना को मैदान में उतारा गया है। गोहाना से टिकटार्थी पूर्व ओलंपियन कुश्ती पहलवान योगेश्वर दत्त के बदले पूर्व सांसद अरविंद शर्मा को उतारा गया। योगेश्वर ने भाजपा से किनारा कर लिया है।

भारतीय कबड्डी टीम के कप्तान दीपक हुड्डा को महम से मैदान में उतारकर भाजपा ने हरियाणा के खिलाड़ी वर्ग को साधने की कोशिश की है। 2019 के विधानसभा चुनाव में दादरी से निर्दलीय विधायक बने सोमवीर सांगवान से पटखनी खाने वाली दंगल गर्ल बबीता फोगाट को इस बार भाजपा ने चुनावी मैदान से बाहर कर दिया है। उस चुनाव में करीब 25,000 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहीं बबीता की इस सीट से टिकट सुनील सांगवान के हाथ आई है। 2019 में सुनील के पिता सतपाल सांगवान जजपा के टिकट पर चुनाव में दूसरे नंबर पर थे।

उम्मीदवारों की सूची जारी होने से पांच दिन पहले तक सुनील सांगवान रोहतक की सुनारिया जेल में अधीक्षक के पद पर तैनात थे। उन्होंने अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान इस जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को छह बार पेरोल पर रिहा किया। बहरहाल, परिवारवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद जैसे समीकरणों में गुंथी भाजपाई उम्मीवारों की पहली लड़ी प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को कितनी कड़ी टक्कर देती है, यह 8 अक्टूबर को चुनावी नतीजे ही बताएंगे।

 

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