प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से नामांकन दायर करने वाले बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा। दरअसल चुनाव आयोग ने तेज बहादुर यादव के नामांकन को जरूरी दस्तावेजों को जमा नहीं करने के चलते निरस्त कर दिया था। आयोग के इसी निर्णय के खिलाफ तेज बहादुर यादव ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
इस मामले पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर की याचिका को खारिज कर दिया। सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि याचिका में कोई ऐसी बात नहीं है, जिसके आधार पर सुनवाई की जाए। वहीं, तेज बहादुर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि 'जो दिख रहा है, मामला उससे कहीं ज्यादा है। खाने की गुणवत्ता पर सवाल उठाने पर तेज बहादुर को प्रताड़ित किया जा रहा है। इससे वे लोग नाराज हैं।'
पिछली सुनवाई में क्या कहा था कोर्ट ने
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव की तरफ से उठाई गई आपत्तियों को सुनने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि यादव की आपत्तियों को जांचने के बाद आयोग इस बारे में हमें अवगत कराए।
ऐसे सुर्खियों में आए थे तेज बहादुर
दरअसल, 2016 में बीएसएफ में खाने की कथित खराब गुणवत्ता का एक वीडियो तेज बहादुर यादव ने सोशल मीडिया पर डाला था जिसके बाद वह सुर्खियों में आए थे। तेज बहादुर यादव की इस शिकायत की जांच हुई जिसके बाद उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। तब से वह लगातार सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।
इसलिए तेज बहादुर ने खटखटाया था सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
लोकसभा चुनाव में तेज बहादुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया था और बाद में उन्हें समाजवादी पार्टी ने भी अपना समर्थन दे दिया। लेकिन जरूरी दस्तावेजों को जमा नहीं कराने के चलते रिटर्निंग ऑफिसर ने तेज बहादुर का नामांकन रद्द कर दिया था।
चुनाव आयोग के इस निर्णय के खिलाफ तेज बहादुर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। तेज बहादुर ने इसे साजिश करार देते हुए कहा था, 'मैंने सभी जरूरी दस्तावेज सौंपे हैं लेकिन यह सब मुझे चुनाव लड़ने से रोकने के लिए किया जा रहा है। यह मेरे खिलाफ एक साजिश है। मोदी जी डर गए हैं और यह सोच-समझकर किया गया है।'