लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सोमवार को कांग्रेस को झटका देकर समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल होने वाली शालिनी यादव अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनावी मैदान में टक्कर देती नजर आएंगी। अखिलेश यादव ने शालिनी को वाराणसी सीट से उतारा है। वाराणसी सीट लोकसभा चुनाव 2014 के बाद से ही सबसे वीआईपी सीट में तब्दील हो चुकी है। सोमवार को सपा में शामिल होने के बाद शालिनी यादव ने कहा था, ‘मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में काम करूंगी। मैं उनके दिशा-निर्देशों के अनुसार आगे बढ़ूंगी’। ऐसा माना जा रहा है कि अगर यहां के चुनावी मैदान में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी खुद नहीं उतरतीं हैं तो यह लड़ाई बेहद आसान साबित हो सकती है।
तो आइए जानते हैं राज्य के महागठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी लोकसभा सीट पर उतरने वाली उस उम्मीदवार के बारे में-
कौन हैं शालिनी यादव
शालिनी यादव पेशे से फैशन डिजाइनर हैं। जानकारी के मुताबिक उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) से अंग्रेजी में ग्रैजुएट हैं। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर की रहने वाली शालिनी यादव की शादी स्व. श्यामलाल यादव के छोटे सुपुत्र अरुण यादव से हुई है। शालिनी का वैसे तो कुछ खास राजनीतिक सफर नहीं रहा है पर उनके पति अरुण यादव जरूर पार्टी में सीधी पकड़ रखते हैं। शालिनी यादव ने अपना सियासी सफर दो साल पहले ही शुरू किया है।
शालिनी का कांग्रेस से है पुराना रिश्ता
वहीं, शालिनी यादव के पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात की जाए तो उनका कांग्रेस से पुराना रिश्ता है। शालिनी यादव के ससुर श्याम लाल यादव कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हैं, जिनका कांग्रेस ही नहीं बल्कि गांधी परिवार से कभी सीधा सरोकार हुआ करता था। 1984 में वाराणसी लोकसभा सीट से सांसद चुए गए थे। इसके बाद राज्यसभा के सदस्य बने और 1988 में राजीव गांधी सरकार में केंद्रीय बने। श्याम लाल यादव राज्यसभा के डिप्टी चैयरमैन भी बने थे।
कांग्रेस के पूर्व सांसद और राज्यसभा के पूर्व उपसभापति श्यामलाल यादव की पुत्रवधू शालिनी यादव 2017 में हुए नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर मेयर पद के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। हालांकि शालिनी यादव बीजेपी की मृदुला जायसवाल से हार कर दूसरे स्थान रहीं। शालिनी को 1.13 लाख वोट मिले थे।
शालिनी का सीधा मुकाबला पीएम मोदी से
अब 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा से वाराणसी सीट से चुनावी मैदान में उतरी हैं, जहां उनका सीधा मुकाबला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से है। मोदी दूसरी बार वाराणसी सीट से चुनावी मैदान में हैं।
वाराणसी लोकसभा सीट का इतिहास
नरेंद्र मोदी के आने से पहले वाराणसी से 2009 का चुनाव बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने लड़ा था और विजयी रहे थे। 2014 में भी जोशी यहीं से लड़ना चाहते थे, लेकिन मोदी की वजह से उन्हें यह सीट छोड़नी पड़ गई थी। 1952 में वाराणसी (सेंट्रल) से कांग्रेस के रघुनाथ सिंह को जीत मिली थी और वह 1962 तक यहां से लगातार 3 बार विजयी रहे थे। 1967 के चुनाव में सत्यनारायण सिंह ने कम्युनिस्ट पार्टी की टिकट पर लड़े और उन्हें यहां से जीत मिली।
साल 2014 का लोकसभा चुनाव
2014 के लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच था। हालांकि इस मुकाबले में मैदान में 42 प्रत्याशियों ने अपनी चुनौती पेश की थी। इसमें 20 उम्मीदवार बतौर निर्दलीय मैदान में थे। नरेंद्र मोदी ने आसान मुकाबले में केजरीवाल को 3,71,784 मतों के अंतर से हराया था। इस चुनाव में मोदी को कुल पड़े वोटों में से 581,022 यानी 56.4% वोट हासिल हुए जबकि आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी अरविंद केजरीवाल के खाते में 2,09,238 (20.3%) वोट पड़े। तीसरे नंबर पर कांग्रेस के उम्मीदवार अजय राय रहे जिनके खाते में महज 75,614 वोट ही पड़े। अब देखना ये है कि बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस और सपा-बसपा गठबंधन अलग-अलग किस तरह से जीतने की दावेदारी पेश कर सकते हैं।