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वाराणसी में पीएम मोदी के खिलाफ सपा ने बदला प्रत्याशी, बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर को टिकट

लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के मतदान के बीच उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा)-बहुजन समाज पार्टी (बसपा)...
वाराणसी में पीएम मोदी के खिलाफ सपा ने बदला प्रत्याशी, बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर को टिकट

लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के मतदान के बीच उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा)-बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने वाराणसी सीट से अपना उम्मीदवार बदल दिया है। सपा-बसपा गठबंधन ने घोषित प्रत्याशी शालिनी यादव की जगह तेज बहादुर यादव को टिकट दे दिया है। तेज बहादुर वही शख्स हैं, जिन्हें बीएसएफ में घटिया दाल-रोटी की शिकायत का वीडियो बनाकर वायरल करने पर बर्खास्त कर दिया गया था। सपा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इस खबर की जानकारी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके ही गढ़ वाराणसी में घेरने के लिए महागठबंधन का ये बड़ा मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। 

इससे पहले गठबंधन की ओर से शालिनी यादव के नाम पर मुहर लगाई गई थी। भाजपा की ओर से इस सीट पर पीएम मोदी ने हाल ही में नामांकन दाखिल किया है। सोमवार को वाराणसी में नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन है। वाराणसी सीट से लगातार सपा में प्रत्याशी को लेकर चल रहे मंथन के बाद एसपी की पूर्व घोषित प्रत्‍याशी शालिनी यादव और बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव ने समाजवादी पार्टी के प्रत्‍याशी के तौर पर पर्चा दाखिल किया।

दोनों के नामांकन के बाद पार्टी ने साफ तौर पर कहा कि तेजबहादुर यादव ही पार्टी की ओर से मुख्य प्रत्याशी होंगे। लिहाजा इसके बाद शालिनी यादव अपना नामांकन वापस लेंगी।


बताया जा रहा है कि तेज बहादुर यादव पहले प्रधानमंत्री के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। पिछले दिनों ही तेज बहादुर यादव ने ऐलान किया था वह भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा था, ‘मैंने भ्रष्टाचार का मामला उठाया लेकिन मुझे बर्खास्त कर दिया गया। मेरा पहला उद्देश्य सुरक्षा बलों को मजबूत करना और भ्रष्टाचार खत्म करना होगा’।

कौन हैं तेज बहादुर

साल 2017 में बीएसएफ के जवान तेज बहादुर यादव उस समय सुर्खियों में आए जब उन्होंने सीमा पर खराब खाने का वीडियो को सोशल मीडिया में भेजने के बाद हड़कंप मचा दिया था। हरियाणा के निवासी और बीएसएफ से बर्खास्त होने के बाद तेज बहादुर यादव ने पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र से चुनावी ताल ठोक रहे हैं। तेज बहादुर यादव ने कहा कि वे सेना और पैरामिलिट्री में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं और पीएम मोदी के खिलाफ नहीं बल्कि उन्होंने जो अधूरे वायदे किए उनके खिलाफ वाराणसी आए हैं।

कौन है शालिनी यादव

शालिनी यादव कांग्रेस के पूर्व सांसद एवं राज्यसभा के पूर्व उपसभापति श्यामलाल यादव की पुत्रवधु हैं। वह वाराणसी से मेयर का चुनाव लड़ चुकी हैं। शालिनी कुछ दिन पहले ही कांग्रेस को छोड़ सपा में शामिल हुई थीं और पार्टी में शामिल होने के साथ ही उनका वाराणसी से टिकट फाइनल हो गया था।

 

वाराणसी लोकसभा सीट का इतिहास

 

नरेंद्र मोदी के आने से पहले वाराणसी से 2009 का चुनाव बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने लड़ा था और विजयी रहे थे। 2014 में भी जोशी यहीं से लड़ना चाहते थे, लेकिन मोदी की वजह से उन्हें यह सीट छोड़नी पड़ गई थी। 1952 में वाराणसी (सेंट्रल) से कांग्रेस के रघुनाथ सिंह को जीत मिली थी और वह 1962 तक यहां से लगातार 3 बार विजयी रहे थे। 1967 के चुनाव में सत्यनारायण सिंह ने कम्युनिस्ट पार्टी की टिकट पर लड़े और उन्हें यहां से जीत मिली।

 

साल 2014 का लोकसभा चुनाव

 

2014 के लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच था। हालांकि इस मुकाबले में मैदान में 42 प्रत्याशियों ने अपनी चुनौती पेश की थी। इसमें 20 उम्मीदवार बतौर निर्दलीय मैदान में थे। नरेंद्र मोदी ने आसान मुकाबले में केजरीवाल को 3,71,784 मतों के अंतर से हराया था। इस चुनाव में मोदी को कुल पड़े वोटों में से 581,022 यानी 56.4% वोट हासिल हुए जबकि आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी अरविंद केजरीवाल के खाते में 2,09,238 (20.3%) वोट पड़े। तीसरे नंबर पर कांग्रेस के उम्मीदवार अजय राय रहे जिनके खाते में महज 75,614 वोट ही पड़े। अब देखना ये है कि बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस और सपा-बसपा गठबंधन अलग-अलग किस तरह से जीतने की दावेदारी पेश कर सकते हैं।

 

 

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