तेलंगाना विधानसभा भंग होने के बाद वहां की राजनीति पर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं। मंगलवार यानी आज यह साफ हो जाएगा कि यहां किसकी सरकार बनेगी। वोटों की गिनती चल रही है। राज्य में टीआरएस को रुझानों में बहुमत मिल रहा है और के. चंद्रशेखर राव का मुख्यमंत्री बनना तय माना जा रहा है।
तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआरएस ने विधानसभा चुनाव में कुल 119 सीटों में 81 पर जीत हासिल कर ली है और 6 सीटों पर आगे चल रही है और इसके साथ ही वह स्पष्ट बहुमत के साथ फिर से सरकार बनाने जा रही है। कार्यवाहक मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने 51,000 से ज्यादा मतों के अंतर से गजवेल विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की। तेलंगाना के कार्यवाहक मंत्री और टीआरएस उम्मीदवार तालासानी श्रीनिवास यादव सनथ नगर निर्वाचन क्षेत्र से 30,217 वोटों से जीत गए हैं।
वहीं, टीआरएस अध्यक्ष राव के बेटे एवं मंत्री के टी रामा राव ने सिरसिल्ला में अपने प्रतिद्वंद्वी, कांग्रेस उम्मीदवार के.के महेन्द्र रेड्डी को 88,000 मतों के अंतर से मात दी। राव के भतीजे एवं कार्यवाहक सरकार में वरिष्ठ मंत्री टी हरीश राव ने सिद्दिपेट से अपनी निकतटम टीजेएस प्रतिद्वंद्वी भवानी रेड्डी को 1,18,499 मतों के अंतर से मात दी। कांग्रेस ने राज्य में 13 सीटों पर जीत हासिल की और अभी तक छह सीटों पर आगे है। उसकी सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी दो सीटों पर आगे है।
आधिकारिक सूचनाओं के मुताबिक, टीआरएस के संजय कुमार ने जगतियाल सीट पर कांग्रेस के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी टी जीवन रेड्डी को 61185 मतों के अंतर से हराया। टीआरएस अध्यक्ष राव के बेटे एवं मंत्री के टी राम राव सिरसिल्ला में अपने प्रतिद्वंद्वी, कांग्रेस उम्मीदवार के.के महेन्द्र रेड्डी को 88,000 मतों के अंतर से मात दी।
जनता ने हमारे नेता में एक बार फिर विश्वास दिखाया
राव के भतीजे और निवर्तमान सरकार में मंत्री टी हरीश राव ने कहा, ‘जनता ने हमारे नेता में एकबार फिर विश्वास दिखाया है और वे विपक्ष द्वारा चुनाव में प्रचारित की गई गलत जानकारी पर विश्वास नहीं करते।’
राज्य में त्रिकोणीय मुकाबला
तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव की टीआरएस, कांग्रेस नीत गठबंधन और भाजपा में त्रिकोणीय मुकाबला है। हालांकि एग्जिट पोल्स में टीआरएस को काफी आगे बताया गया है। राज्य की 119 विधानसभा सीटों के लिए सात दिसंबर को चुनाव हुए थे और इनमें 73.20 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस चुनाव में 1821 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे।
119 निर्वाचन क्षेत्रों में से 119 की ज्ञात स्थिति |
|||
दल का नाम |
विजयी |
आगे |
कुल |
इंडियन नेशनल कांग्रेस |
15 |
4 |
19 |
भारतीय जनता पार्टी |
1 |
1 |
|
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन |
6 |
1 |
7 |
तेलुगु देशम |
2 |
2 |
|
तेलंगाना राष्ट्रीय समिति |
81 |
6 |
88 |
ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक |
1 |
0 |
1 |
निर्दलीय |
1 |
1 |
1 |
कुल |
107 |
12 |
119 |
LIVE अपडेट्स
- टीआरएस प्रमुख और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव जीते
- टीआरएस को 85 सीटों पर बढ़त
- एआईएमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी जीते
- तेलंगाना कांग्रेस के नेता उत्तम कुमार रेड्डी ने रुझान आने के बाद ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि उन्हें शक है कि बैलेट पेपर पर चुनाव होता तो यही रुझान आते। उन्होंने ईवीएम में गड़बड़ी का शक जताया है और बोला है कि इस बारे में वो चुनाव आयोग से शिकायत करेंगे।
- कांग्रेस के ईवीएम के साथ छेड़छाड़ के आरोप पर टीआरएस सांसद और केसीआर की बेटी के. कविता ने कहा कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ करना नामुमकिन है।
- तेलंगाना चुनाव नतीजों पर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि, कांग्रेस नेतृत्व वाले गठबंधन पीपल्स फ्रंट के लिए यह बड़ी हार होगी।
- तेलंगाना चुनाव नतीजों पर बोले टीआरएस नेता जितेंद्र रेड्डी ने पीटीआई से कहा कि इस प्रतिक्रिया की हमें उम्मीद थी, हमारी सरकार द्वारा शुरू किए गए जनकल्याण स्कीम को जनता ने सराहा है।
राव ने इस साल सितम्बर में विधानसभा भंग कर दी थी
टीआरएस अध्यक्ष एवं कार्यवाहक मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने इस साल सितम्बर में विधानसभा भंग कर दी थी, जिस कारण तय समय से करीब आठ महीने पहले राज्य में चुनाव कराने पड़े। टीआरएस के पास पिछली विधानसभा में 63 सीटें थीं।
राज्य में सरकार बनाने के लिए 60 सीटों की जरूरत
राज्य में सरकार बनाने के लिए कम से कम 60 सीटों की आवश्यकता है, जहां मतगणना समाप्त होने तक टीआरएस के तीन-चौथाई बहुमत के आसपास पहुंचने की पूरी संभावना है। टीआरएस के कार्यालयों सहित तेलंगाना भवन और हैदराबाद मुख्यालय पर जश्न मनना शुरू हो गया है। टीआरएस कार्यकर्ता वहां ढोल की धुन पर नाचते दिखे, पटाखे फोड़े गए और मिठाईयां भी बांटी गई। चुनाव में सत्तारूढ़ टीआरएस और भाजपा मैदान में अकेले उतरे हैं और कांग्रेस ने तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी), भाकपा और तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) के साथ गठबंधन किया है।
2014 के चुनाव में ये थी स्थिति
2014 के चुनाव के दौरान आंध्र प्रदेश और तेलंगाना एक ही राज्य थे। राज्य विभाजन के बाद तेलंगाना के हिस्से में 119 सीटें आईं। इनमें तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को 90 सीटें और कांग्रेस के खाते में 13 सीटें आईं। टीआरएस के अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव को मुख्यमंत्री बनाया गया।
पीपल्स अलायंस से टीआरएस की टक्कर
तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआरएस को विपक्षी गठबंधन ‘प्रजा कुटमी’ यानी पीपल्स अलायंस कई जगहों पर कड़ी टक्कर दे रहा है। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने विपक्षी दलों के बीच एकता नहीं होने की वजह से समय से पहले चुनाव कराने की खातिर विधानसभा सितंबर में भंग करने का प्रस्ताव पास किया था। इसके बाद से ही वह प्रचार में जुटे हुए हैं। हालांकि, कांग्रेस-टीडीपी-टीजेएस-सीपीआई ने बाद में नाटकीय तरीके से गठबंधन कर टीआरएस को चुनौती देने का फैसला किया। अब यह अलायंस राजधानी हैदराबाद और कुछ अन्य जगहों पर मजबूत दिख रहा है।
टीआरएस के लिए उत्तरी तेलंगाना की 50 से अधिक सीटों पर 2014 के अपने दमदार प्रदर्शन को दोहराना महत्वपूर्ण होगा, जबकि विपक्षी गठबंधन के लिए दक्षिणी तेलंगाना की 60 से अधिक सीटें ज्यादा संभावना वाली हैं। विपक्षी गठबंधन की कोशिश उत्तरी तेलंगाना में भी टीआरएस को कुछ सीटों पर हराने की होगी। राज्य में विधानसभा की कुल 119 सीटों में से टीआरएस और प्रजा कुटमी के बीच लगभग 100 सीटों पर सीधा मुकाबला है।