त्रिपुरा विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजे आ चुके हैं। 60 सीटों में 59 पर चुनाव हुए थे। एक सीट पर 15 मार्च को चुनाव होगा।
यहां भाजपा ने 'लाल' दुर्ग ढहा दिया है। पिछले 25 सालों से लगातार सत्ता पर काबिज माकपा को करारी शिकस्त मिली है। भाजपा इस बार पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है।
जहां मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को 16 सीटों से संतोष करना पड़ा, वहीं बीजेपी ने 35 सीटें जीत कर माकपा को मात दी है। वहीं भाजपा की सहयोगी पार्टी आईपीएफटी ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की है। भाजपा का इस पार्टी के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन हुआ है। इसलिए दोनों की सीटें जोड़ी जाएं तो भाजपा गठबंधन ने 43 सीटें जीत ली हैं।
त्रिपुरा चुनाव परिणाम - 2018 |
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60 विधानसभा सीटों में 59 का स्टेटस
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Party | जीते | आगे | कुल |
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भाजपा | 35 | 0 | 35 |
माकपा | 16 | 0 | 16 |
आईपीएफटी | 8 | 0 | 8 |
कुल योग | 59 | 0 | 59 |
त्रिपुरा में 1978 के बाद से लेफ्ट पार्टी सिर्फ एक बार 1988-93 के दौरान सत्ता से दूर रही थी। बाकी सभी विधानसभा चुनावों में लेफ्ट का कब्जा रहा है। पिछले पांच चुनावों में लेफ्ट ही वहां पर जीत दर्ज करती आई है।हाल ही में त्रिपुरा में 59 सीटों पर वोटिंग हुई थी, जहां 48.1 फीसदी मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। इस बार पिछले 25 साल से सत्ता पर विराजमान लेफ्ट की सरकार के सामने इस बार अपना किला बचाने की चुनौती है।
राज्य में कांग्रेस का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है, वहीं बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा है। नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से बीजेपी ने नॉर्थ ईस्ट के क्षेत्रों पर फोकस किया था। इसके अलावा आरएसएस लगातार पूर्वोत्तर के क्षेत्रों में सक्रिय है।
2013 के नतीजे
त्रिपुरा के 2013 विधानसभा चुनाव में राज्य की कुल 60 सीटों में से वाममोर्चा ने 50 सीटें जीती थी, जिनमें से CPM को 49 और CPI को 1 सीट जबकि कांग्रेस को 10 सीटों के साथ संतोष करना पड़ा था, लेकिन तीन साल के बाद 2016 में कांग्रेस के 6 विधायकों ने ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ज्वाइन कर ली थी। कुछ ही समय बाद छह विधायकों ने टीएमसी को छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया।
2013 में भाजपा ने 50 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 49 सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी। उसका एक भी विधायक नहीं जीता था। इस लिहाज से भाजपा के लिए इस बार की जीत ऐतिहासिक है।