मध्य प्रदेश में कांग्रेस की ओर से राज्यसभा उम्मीदवार विवेक तन्खा ने कांग्रेस के विधायकों की कुल संख्या से भी ज्यादा वोट हासिल कर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को तगड़ा झटका दे दिया है। तन्खा को शनिवार को हुए चुनावों में सबसे अधिक 62 वोट मिले हैं। उन्हें कांग्रेस के अलावा बसपा के चार और एक निर्दलीय विधायक का वोट भी मिला है। गौरतलब है कि राज्यसभा में जीत के लिए मध्यप्रदेश में हर उम्मीदवार को 58 वोट की जरूरत थी। यहां से भाजपा ने अपने दो अधिकृत उम्मीदवार उतारे थे जबकि भाजपा के ही सदस्य विनोद गोतिया निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में थे। उन्हें प्रथम वरीयता के 50 वोट ही मिल पाए। भाजपा के अपने दोनों अधिकृत उम्मीदवार एम.जे. अकबर और अनिल दवे 58-58 वोट हासिल कर जीत गए।
मध्य प्रदेश में जहां कांग्रेस को फायदा हुआ वहीं हरियाणा में उसे झटका लगा है क्योंकि हरियाणा में कांग्रेस ने इनेलो समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार आर.के. आनंद के पक्ष में वोटिंग करने के लिए अपने विधायकों को निर्देश दिया था लेकिन कांग्रेस विधायकों ने आलाकमान के निर्देश का उल्लंघन किया। आनंद भाजपा समर्थित उम्मीदवार सुभाष चंद्रा से हार गए। कांग्रेसी विधायकों ने सुभाष चंद्रा के लिए वोट दिए हालांकि तकनीकी आधार पर कांग्रेस के अधिकांश विधायकों के मत खारिज कर दिए गए। वैसे भी एक दिन पहले ऐसी सूचनाएं आई थीं कि कांग्रेस के विधायक इनेलो के साथ वोटिंग के लिए तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि उन्हें आनंद के पक्ष में वोटिंग के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि वे जनता को यह नहीं दिखाना चाहते कि वे इनेलो के साथ हैं। ऐसे में वे मतदान से अनुपस्थित रहना चाहते थे मगर कांग्रेस आलाकमान ने इसकी अनुमति नहीं दी। अब सुभाष चंद्रा की जीत के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या कांग्रेस के विधायकों ने जानबूझकर अपना वोट खारिज होने दिया।
वैसे राज्यसभा चुनाव भाजपा के लिए कहीं खुशी तो कहीं गम लेकर आए हैं। झारखंड में उसके दोनों प्रत्याशी मुख्तार अब्बास नकवी और महेश पोद्दार जीत गए हैं जबकि जेएमएम उम्मीदवार बसंत सोरेन को हार का सामना करना पड़ा है। हालांकि यहां के परिणाम को कोर्ट में चुनौती मिलना तय है क्योंकि जेएमएम के विधायक चमरालिंडा को तीन साल पुराने एक मामले में शनिवार की सुबह ही गिरफ्तार कर लिया गया और वे वोट नहीं डाल पाए। इसी प्रकार कांग्रेस विधायक देवेंद्र सिंह भी एक मामले में अरेस्ट वारंट जारी होने के कारण वोट नहीं डाल पाए।
भाजपा को यूपी में भी झटका लगा है जहां तमाम प्रयास के बावजूद वह कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल की जीत नहीं रोक पाई। भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति महापात्र को हार का सामना करना पड़ा। वैसे यहां कांग्रेस के लिए भी खतरे की घंटी बजी है क्योंकि 29 सदस्यीय कांग्रेस विधायक दल होने के बावजूद सिब्बल को प्रथम वरीयता के सिर्फ 25 वोट मिले। यही नहीं रालोद के चार विधायकों को समर्थन भी उन्हें देने की घोषणा चौधरी अजीत सिंह ने की थी मगर वह वोट भी उन्हें नहीं मिले। खास बात यह रही कि बसपा के अतिरिक्त विधायकों ने किसी भी दूसरे दल को वोट नहीं डाला। यूपी में सपा के सभी सातों, बसपा के दोनों और भाजपा का एक अधिकृत उम्मीदवार आसानी से चुनाव जीत गए।
भाजपा के लिए खुशी की खबर राजस्थान से है जहां उसके चारों उम्मीदवार चुनाव जीत गए हैं। कर्नाटक में कांग्रेस के तीन जबकि भाजपा के एक उम्मीदवार को जीत मिली है। इसके अलावा उत्तराखंड से कांग्रेस के प्रदीप टम्टा आसानी से जीत गए। टम्टा को 33 वोट जबकि भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार को 26 वोट मिले।