मराठा समुदाय के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण की मांग को लेकर नौ दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बुधवार को अपना अनशन समाप्त कर दिया। जरांगे का आरक्षण की मांग को लेकर इस साल यह छठा अनशन था।
उन्होंने मराठा समुदाय के सदस्यों द्वारा भूख हड़ताल वापस लेने की अपील का हवाला देते हुए अपना अनशन समाप्त किया।
जरांगे ने जालना जिले के अपने पैतृक गांव अंतरवाली सरती में समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने मराठा समुदाय की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए अनशन समाप्त करने का निर्णय लिया है।
जरांगे ने कहा, ‘‘हम उन लोगों से निपटेंगे जिन्होंने मराठा समुदाय को ठेस पहुंचाई है।’’
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग को लेकर जरांगे 17 सितंबर को भूख हड़ताल पर बैठे थे।
जरांगे ने मराठों से किसी भी राजनीतिक बैठक में भाग लेने से परहेज करने की अपील करते हुए कहा, ‘‘अपने समुदाय के लोगों द्वारा बार-बार की जा रही अपील के बाद मैंने अनशन खत्म करने का फैसला किया है। मराठा समुदाय को परेशान करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। ’’
जरांगे ने कहा कि मराठा समुदाय ने पिछले 70 वर्षों में बहुत कष्ट झेले हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए आरक्षण चाहते हैं।’’
इस साल फरवरी में महाराष्ट्र विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया था, जिसमें मराठा समुदाय को शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में एक अलग श्रेणी के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया था। लेकिन, जरांगे ओबीसी श्रेणी के तहत समुदाय को आरक्षण देने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं।
जालना के जिलाधिकारी राधाकृष्ण पांचाल और पुलिस अधीक्षक अजय कुमार बंसल ने मंगलवार मध्य रात्रि को धरना स्थल पर जरांगे से मुलाकात की और उनके बिगड़ते स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें अनशन समाप्त करने के लिए राजी किया।